अभिनंदननाथ जैन मंदिर फरीदाबाद सेक्टर 37
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 अभिनन्दन नाथ दिगम्बर जैन मंदिर, फरीदाबाद
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी में प्रथम पंचकल्याणक सन् 2014 में हुआ
  • स्थान
    सेक्टर-37, फरीदाबाद, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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श्री 1008 अभिनन्दन नाथ दिगम्बर जैन मंदिर, भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर फरीदाबाद सेक्टर 37 में स्थित है। यह बात 1995 की है जब दिल्ली शेख सराय निवासी श्री महावीर प्रसाद जैन का आगमन फरीदाबाद सेक्टर 37 में हुआ। उस समय आस पास कोई दिगम्बर जैन मंदिर नहीं था। उन्हें लगा कही जैन समाज के लोग मंदिर जी के दर्शन लाभ से वंचित ना रह जाए इसलिए यहाँ एक मंदिर जी का होना अति आवश्यक है। उन्होंने स्थानीय जैन समाज की समिति बुलाकर मंदिर जी के निर्माण की इच्छा प्रकट की। स्थानीय जैन समिति व श्री महावीर प्रसाद जी द्वारा मिलकर चैत्यालय के निर्माण का निर्णय लिया गया। आप महावीर प्रसाद जी के दयालु होने का प्रमाण इससे लगा सकते है कि उन्होंने अपने हिस्से की भूमि भी चैत्यालय के निर्माण के लिए दान में दे दी थी। श्री महावीर प्रसाद जैन एवं स्थानीय जैन समाज के प्रयास से चैत्यालय का निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ। चैत्यालय में प्रतिमा जी को विराजमान करने के लिए आर्यिका 105 ज्ञानमति माता जी के द्वारा श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा जैन समाज को दी गई। आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा के कुछ समय पश्चात श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान एवं श्री 1008 महावीर भगवान जी की प्रतिमाओं को जयपुर से मँगवाकर शुद्धिकरण करवाकर वेदी में विराजमान किया गया। चैत्यालय का निर्माण होने के कुछ वर्षो बाद श्री महावीर प्रसाद जी ने चैत्यालय को जैन समाज को सौंप दिया।

 

समस्त जैन समाज द्वारा निर्णय लिया गया कि चैत्यालय को मंदिर जी का रूप दे दिया जाए। लेकिन मंदिर जी के साथ में रहने वाले अन्य समाज के लोगो द्वारा मंदिर जी को लेकर विरोध किया गया। उन्होंने मंदिर जी के विरोध के कारण जैन समाज पर केस कर दिया। यह भगवान जिनेन्द्र जी का अतिशय था कि केस जैन समाज के पक्ष में आया। वर्ष 2006-2007 में मंदिर जी का निर्माण कार्य आरम्भ होकर वर्ष 2013 में पूर्ण हुआ। मंदिर जी में पंचकल्याणक फरवरी 2014 में किया गया। जैन समाज द्वारा वेदी में मूलनायक प्रतिमा कौनसे तीर्थंकर भगवान जी की विराजमान हो, इस विषय में कई जैन साधु महाराज जी से वार्तालाप किया गया। सभी के द्वारा अभिनन्दन नाथ जी की प्रतिमा को चुना गया। इसके बाद जैन समाज द्वारा वेदी में मूलनायक श्री अभिनन्दन नाथ भगवान जी की प्रतिमा को ही विराजमान किया गया। मंदिर जी की वेदी में मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री महावीर भगवान एवं श्री आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर जी में समय समय पर जैन मुनि-महाराज जी के दर्शन होते रहे है। प्रतिदिन मंदिर जी में जैन श्रावक आकर पूजा-प्रक्षाल एवं जलाभिषेक करते है।


जैन समाज एवं सुविधाए

फरीदाबाद की कुल जनसँख्या लगभग चौदह लाख है जिसमें जैन समाज केवल 400 से 500 परिवारों के करीब है। इतने कम परिवार होने के बावजूद जैन समाज का फरीदाबाद में मुख्य रूप है। फरीदाबाद में जैन मंदिर अलग-अलग क्षेत्रों पर स्थित है। प्रत्येक मंदिर जी के लिए अलग समिति का निर्माण किया गया है। श्री 1008 अभिनन्दन नाथ दिगम्बर जैन मंदिर फरीदाबाद के सेक्टर-37 में स्थित है। मंदिर जी का संचालन स्थानीय मंदिर समिति द्वारा सुचारु रूप से किया जाता है। मंदिर जी में प्रतिदिन आने वाले श्रावकों के लिए शुद्धता का विशेष ध्यान रखा गया है। क्षेत्र में समय-समय पर जैन साधु-महाराज जी का आगमन होता रहता है उनके आगमन पर रुकने की व्यवस्था के रूप में त्यागी भवन का निर्माण किया गया है। महाराज जी के प्रवचनो को सुनने के लिए एक हॉल का भी निर्माण किया गया है। यदि कोई जैन यात्री सम्पर्क करके आता है तो उनके रुकने की व्यवस्था भी जैन समाज द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है।


क्षेत्र के बारे में

फरीदाबाद हरियाणा राज्य का एक जिला है। फरीदाबाद भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली महानगर का एक महत्वपूर्ण उपनगर है। यह शहर दिल्ली के निकटतम शहरों में से एक है और दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी (NCT) का एक हिस्सा भी है। फरीदाबाद नगर निगम के अंतर्गत आता है और उत्तर भारत की एक प्रमुख उद्योगी नगरी है। फरीदाबाद शहर की स्थापना 1607 शेख फरीद ने की थी जिसे बाबा फरीद के नाम से भी जाना जाता है। बाबा फरीद एक प्रसिद्ध सूफी संत थे और मुगल बादशाह जहाँगीर के कोषाध्यक्ष भी थे। यहाँ पर बाबा फरीद की मजार भी बनी हुई है। 1950 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का एक बड़ा समूह यहाँ आ कर बस गया। उनके पुनर्वास के लिए उद्योग स्थापित किए गए थे। बाद में विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों और धर्मों के लोग भी फरीदाबाद में आकर बस गए। प्रारंभ में यह गुड़गाँव जिले का ही एक हिस्सा था। 15 अगस्त 1979 को फरीदाबाद को एक अलग जिले के रूप में स्थापित किया गया था। फरीदाबाद व्यापार, उद्योग, और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। यहां कई उद्योगों के कारण व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है, जिसमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और स्टील उद्योग शामिल हैं। इसके अलावा यहां कई अच्छे शिक्षा संस्थान भी हैं। सम्पूर्ण रूप से फरीदाबाद एक व्यापारिक, उद्योगिक और सांस्कृतिक नगर है जो अपने विविधता और उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यहां की जनसंख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है, जो शहर को एक नवीन और विकसित रूप दे रही है।


समिति

मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन के लिए समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

अध्यक्ष - श्री बी.पी.जैन

सचिव - श्री अनुराग जैन

उपाध्यक्ष - श्री अलोक जैन

उप सचिव - श्री अरुण जैन

कोषाध्यक्ष - श्री मनीष जैन