अम्बाला शहर जैन मंदिर
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बांस बाजार, अम्बाला शहर
  • निर्माण वर्ष
    गर्भगृह 100 वर्ष से अधिक प्राचीन है
  • स्थान
    बांस बाजार, अम्बाला शहर, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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श्री 1008 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अम्बाला रेलवे स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर की दुरी पर अम्बाला शहर के बांस बाजार में स्थित है। पहले मंदिर जी के स्थान पर जैन समाज के स्वर्गीय लाला कुन्दन लाल जैन जी की हवेली हुआ करती थी। उनके द्वारा ही हवेली में चैत्यालय का निर्माण किया हुआ था। स्वर्गीय लाला कुन्दन लाल जैन और सुपुत्र लाला महताब राय जैन द्वारा वर्ष 1916 में हवेली को स्थानीय जैन पंचायत को सौंप दिया गया। सन् 1944 में जैन समाज द्वारा चैत्यालय का जीर्णोद्धार करवाकर मंदिर जी का रूप दे दिया गया। वर्ष 1974 में श्री 1008 महावीर भगवान जी के निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य पर मंदिर जी से थोड़ी दुरी पर श्री 1008 सुपार्श्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर जी के भूगर्भ से खुदाई के दौरान तीन जैन प्रतिमाएँ प्राप्त हुई। श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा प्रतिमाओं को उसी मंदिर जी में विराजमान करने का निर्णय लिया जाता है। प्रतिमाएँ दिगम्बर अवस्था में होने के कारण दिगम्बर जैन समाज भी प्रतिमाओं को लेने के लिए श्वेताम्बर जैन समाज से निवेदन करता है। दोनों समाज की समितियों द्वारा प्रतिमाओं को प्राप्त करने को लेकर एक माह तक चर्चा की जाती है। चर्चा उपरांत यह निर्णय हुआ कि भूगर्भ से प्राप्त भगवान नेमिनाथ जी की प्रतिमा को श्वेताम्बर जैन मंदिर में और वासुपूज्य भगवान व माता पद्मावती जी की प्रतिमा को दिगम्बर जैन मंदिर में स्थापित किया जाए। दोनों समाज की सहमति से प्रतिमाओं को लाकर दिगम्बर एवं श्वेताम्बर जैन मंदिर जी में विराजमान किया जाता है।

वर्तमान समय में मंदिर जी में कुल छह वेदिया निर्मित है। मंदिर जी की मूल वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री आदिनाथ भगवान जी की है। इसी वेदी में श्री शांतिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री शीतलनाथ भगवान, श्री महावीर भगवान, श्री आदिनाथ भगवान व श्री नेमिनाथ भगवान चौबीसी प्रतिमा व सिद्ध परमेष्ठी प्रतिमा विराजमान है। मूल वेदी के साथ में अन्य दो वेदियों में विराजमान भूगर्भ से प्राप्त हुई श्री 1008 वासुपूज्य भगवान एवं माता पद्मावती जी की प्रतिमा जी जो दो हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन बताई जाती है। माता पद्मावती जी की प्रतिमा का क्षेत्र में बहुत अतिशय है। प्रति सप्ताह शुक्रवार के दिन मंदिर जी में जैन समाज के साथ ही अन्य समाज के भी लोग आकर प्रतिमा जी के दर्शन करते है। मंदिर जी की एक अन्य वेदी में भी मूलनायक प्रतिमा श्री आदिनाथ भगवान जी की है। इस वेदी की स्थापना स्वर्गीय लाला कुन्दन लाल जैन द्वारा चैत्यालय के समय की गई थी। इसी वेदी में मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा के साथ ही अन्य जैन प्रतिमाएँ भी विराजमान है। मंदिर जी की एक वेदी में अष्ट धातु से निर्मित श्री कुन्थुनाथ भगवान जी की मूल प्रतिमा विराजित है। मूलनायक प्रतिमा के साथ ही श्री अजितनाथ भगवान, श्री मल्लिनाथ भगवान जी की भी अष्ट धातु व आदिनाथ भगवान जी की चाँदी व श्री महावीर भगवान जी की स्वर्ण से निर्मित प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी के गर्भगृह में ही स्फटिक की प्रतिमाओं से युक्त नवग्रह वेदी भी विराजमान है। मंदिर जी के गर्भगृह में चारों ओर दीवारों पर काँच के ऊपर जैन कथाओं, जैन प्रमुख सिद्ध क्षेत्र व भगवान जिनेन्द्र जी के समवशरण का चित्रण बड़े सुन्दर रूप से किया गया है। प्रतिदिन मंदिर जी में सुचारु रूप से पूजा-प्रक्षाल एवं अभिषेक किया जाता है।


जैन समाज एवं सुविधाए

अम्बाला में जैन समाज का जनहित में भी सक्रिय योगदान रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है। कई जैन संतों ने समय-समय पर अम्बाला शहर का दौरा किया है। हर साल जैन त्योहारों पर शोभा यात्रा निकली जाती हैं जिनमें सभी वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं। क्षेत्र में 30 से अधिक जैन परिवार स्थित है। यहाँ तक ​​कि जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संप्रदाय भी अम्बाला में स्थित है। जैन समाज ने हर प्रकार के क्षेत्रीय कार्यो में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया एवं स्थानीय समाज के लिए अनेक कार्य किए है। मंदिर जी में दर्शन करने आने वाले यात्रियों के लिए पंद्रह कमरों की व्यवस्था बनी हुई है। यदि कोई यात्री संपर्क कर मंदिर जी में आता है तो भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाती है। मंदिर जी के साथ में ही लार्ड महावीर प्ले वे वर्ल्ड के नाम से छोटे बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल की व्यवस्था की गई है। जब भी क्षेत्र में साधु महाराज जी का आगमन होता है तो उनके लिए रुकने की व्यवस्था स्कूल में की जाती है। स्कूल का संचालन भी जैन समाज द्वारा सुचारु रूप से किया जाता है।


अम्बाला क्षेत्र के बारे में

अम्बाला को दो उपक्षेत्र में बाटा गया है जिन्हें अम्बाला शहर व अम्बाला छावनीं (कैंट) के नाम से जाना जाता है। अम्बाला हरियाणा व पंजाब की सीमा पर स्थित है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से दो सौ किलोमीटर उत्तर की ओर शेरशाह सूरी मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 1) पर स्थित है। अम्बाला शहर दो नदियों घग्गर ओर टांगरी नदी को अलग करता है। अम्बाला शहर का रेलवे जंक्शन उतर भारत का एक अभिन्न अंग है। अम्बाला शहर को वैज्ञानिक उपकरणो का शहर भी कहा जाता है। अंबाला एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक शहर भी है। वैज्ञानिक उपकरणों, सिलाई मशीनों, मिश्रण यंत्रों (मिक्सर) और मशीनी औज़रों के निर्माण तथा कपास की ओटाई, आटा मिलों व हथकरघा उद्योग की दृष्टि से अंबाला छावनी व शहर, दोनों उल्लेखनीय हैं। अम्बाला नाम की उत्पत्ति शायद महाभारत की अम्बालिका के नाम से हुई होगी। आज के जमाने में अम्बाला अपने विज्ञान सामग्री उत्पादन व मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। अम्‍बाला को विज्ञान नगरी कह कर भी पुकारा जाता है क्योंकि यहां वैज्ञानिक उपकरण उद्योग केंद्रित है। भारत के वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग 40 प्रतिशत उत्‍पादन अम्‍बाला में ही होता है। एक अन्‍य मत यह भी है कि यहां पर आमों के बाग बगीचे बहुत थे, जिससे इस का नाम अम्‍बा वाला अर्थात अम्‍बाला पड़ गया।


समिति

मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन के लिए मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

प्रधान - श्री विनेय जैन जी

कोषाध्यक्ष -श्री मुकेश जैन जी

उप सचिव- श्री सतीश जैन जी

महामंत्री - श्री किशोर जैन जी


नक्शा