बादशाहपुर प्राचीन जैन मंदिर
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, (प्राचीन मंदिर), बादशाहपुर
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का गर्भगृह लगभग 350 वर्ष प्राचीन है
  • स्थान
    मेन बाजार बादशाहपुर, गुरुग्राम, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मदिर, हरियाणा में गुरुग्राम-सोहना मुख्य मार्ग से 250 मीटर मेन बाजार के अंदर, बादशाहपुर में स्थित है। मंदिर जी का निर्माण आज से लगभग 350 वर्ष पूर्व जैन समाज द्वारा करवाया गया था। मंदिर जी में समय के साथ जैन समाज द्वारा पुनः जीर्णोद्धार कार्य करवाया गया है।

मंदिर जी में कुल तीन वेदिया विराजित है। मंदिर जी की मूल वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है जिस पर विक्रम सम्वत 1457 उत्तीर्ण है। मूल वेदी में ही श्री 1008 चन्द्रप्रभु भगवान जी, श्री 1008 नेमिनाथ भगवान जी, श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान एवं बाहुबली भगवान जी की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी की दूसरी एवं तीसरी वेदी का निर्माण श्रीमति फूलमती जैन धर्मपत्नी श्री अनूपसिंह जैन द्वारा वर्ष 1987 में कराया गया था। दूसरी वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 नेमिनाथ भगवान जी की है जो देखने से ही अति प्राचीन प्रतीत होती है। बताया जाता है कि नेमिनाथ भगवान जी की यह प्रतिमा चौदहवी सदी की है। मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान, श्री 1008 सुपार्श्वनाथ भगवान, श्री 1008 महावीर भगवान, श्री बाहुबली भगवान एवं श्री 1008 अनंतनाथ भगवान जी की अन्य प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी की तीसरी वेदी में मूलनायक के रूप में श्री 1008 पार्श्वनाथ जी की चौबीसी प्रतिमा विराजमान है। इसी वेदी में श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान, श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान एवं श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर जी के गर्भगृह में जैन तीर्थंकरो के चित्रों को कांच की सहायता से दर्शाया गया है। मंदिर जी में स्थानीय जैन समाज के श्रावको द्वारा नियमित रूप से पूजा प्रक्षाल एवं जलाभिषेक अदि धार्मिक कार्य बड़े प्रेमभाव एवं उत्साह के साथ पुरे किए जाते है।


जैन समाज एवं सुविधाए

वर्तमान में गुरुग्राम हर प्रकार की सुविधाओं से युक्त एक इंडस्ट्रियल हब बन चुका है, जहाँ भिन्न-भिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते है। गुरुग्राम में लगभग सात सौ से आठ सौ जैन परिवारों का समाज है। गुरुग्राम से आठ किलोमीटर की दुरी पर बादशाहपुर स्थित है। बादशाहपुर में भी तीस से अधिक जैन परिवारों का समाज है। जैन समाज द्वारा ही मंदिर जी का संचालन किया जाता है। क्षेत्र में जैन समाज द्वारा निर्मित जैन धर्मशाला में किसी दूर के क्षेत्र से आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था की जाती है।


क्षेत्र के बारे में

गुरुग्राम या गुड़गाँव हरियाणा राज्य का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है। यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है। लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था। उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया था। गुरुग्राम यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


समिति

मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

सदस्य - श्री अजय जैन जी


नक्शा