बरनावा अतिशय क्षेत्र

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बरनावा
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का गर्भगृह 200 वर्ष प्राचीन है
  • स्थान
    बरनावा, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक
बरनावा मंदिर जी परिचय
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बागपत से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बरनावा क्षेत्र, जहाँ पर स्थापित है श्री 1008 भगवान चन्द्रप्रभु अतिशय क्षेत्र। मंदिर जी का निर्माण आज से दो सौ वर्ष पूर्व जैन समाज द्वारा किया गया था। सन् 1995 में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से मंदिर जी का पुनः निर्माण आरम्भ हुआ। मंदिर जी के ऊपर 3 शिखर है। मंदिर जी में 108 फिट उतंग शिखर का निर्माण किया गया है। मंदिर जी में कमल मंदिर का निर्माण भी किया गया है, जहाँ 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को कमल की आकृति वाली वेदी में स्थापित किया गया है। मंदिर जी के निचे तल में दो वेदिया स्थापित है, तथा ऊपर के तल में तीन वेदिया स्थापित है। मंदिर जी की मूल वेदी में मूलनायक श्री 1008 चन्द्रप्रभु भगवान जी की भूगर्भ से प्रकटी चतुर्थकालीन प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी में स्थापित अन्य प्रतिमाएँ भी चतुर्थकालीन है।


कथा अतिशय की

मुग़ल शासन काल में औरंगजेब की अनुयायी में भारतवर्ष में हिन्दू तथा जैन मंदिरों को ध्वस्त किया जा रहा था, तब उसकी सेना बरनावा में भी मंदिर जी को नष्ट करने के लिए बढ़ रही थी। मंदिर जी में रत्नो से बने अमूल्य प्रतिमाएँ विराजमान थी। मुग़ल सनिको से प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए जैन समाज के लोगो ने प्रतिमाओं को भूमि में छुपा दिया। मुग़ल सेना के आने पर मुग़ल सैनिक मंदिर जी को ध्वस्त करने के लिए आगे बड़े तो क्षेत्रपाल जी की शक्ति के कारण ऐसा नहीं कर सकें। क्षेत्रपाल की शक्ति के आगे हारकर मुग़ल सैनिक क्षेत्र छोड़कर भाग गए। वर्तमान समय से लगभग 200 वर्ष पूर्व प्रतिमाओं की खोज शुरू हुई। खुदाई के दौरान भी लोगो को रत्नो से बनी प्रतिमाएँ प्राप्त नहीं हुई। लोगो का विश्वास है की प्रतिमाएँ भविष्य में अवश्य ही दर्शन देंगी। वर्तमान में मंदिर जी में स्थापित प्रतिमाएँ चतुर्थकालीन है।


सुविधाएं एवं धर्मशाला

मंदिर जी में रुकने वालों के लिए यात्री निवास बना है जिसमें 9 कमरों की व्यवस्था बनी हुई है। मंदिर जी में निःशुल्क भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है। मंदिर जी से थोड़ी दूरी पर ज्ञानसागर गुरुकुल बना हुआ है। गुरुकुल में निःशुल्क ही जैन समाज के बच्चों को शिक्षा एवं रहन-सहन की सुविधाएं दी जाती है। क्षेत्र में ज्ञानसागर नाम से गौशाला का भी संचालन किया जाता है। क्षेत्र में औषधालय भी बना हुआ है।


बरनावा क्षेत्र के बारे में

बरनावा की दूरी बागपत जिले से लगभग 37 किलोमीटर है। बरनावा को प्रायः महाभारत काल में बने लाक्षागृह के लिए जाना जाता है। महाभारत काल में कौरवों ने पाण्डवों को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण किया था, जो आज भी मौजूद है। मंदिर जी से थोड़ी दूर पाण्डुकशीला का निर्माण किया गया है, जहाँ प्रतिवर्ष रथयात्रा के महोत्सव में प्रतिमा जी का जलाभिषेक किया जाता है। मंदिर जी के पास में ही श्री ज्ञानसागर जी का गुरुकुल है, जहाँ जैन समाज के बच्चो को निःशुल्क पढ़ाया जाता है। बच्चों की आवश्यकता अनुसार हर प्रकार की सुविधा को उपलब्ध कराया जाता है। क्षेत्र में ज्ञानसागर गौशाला का भी निर्माण ज्ञानसागर जी के द्वारा कराया गया है, जहाँ पर माता कहलाई जाने वाली गायों की देखभाल करने का पुण्य कार्य किया जाता है।


समिति

श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर समिति द्वारा मंदिर जी के संचालन का कार्य किया जाता है। समिति के सदस्य इस प्रकार है -

अध्यक्ष - प. धनराज जैन, अमीनगर, सराय

महामंत्री - श्री पंकज जैन (यू.जी.एस.), मेरठ