मंदिर जी का परिचय

दिल्ली के बुद्ध विहार इलाके में स्थित यह 30 वर्ष पुराना दिगंबर जैन मंदिर सन् 1994 में स्थापित किया गया था। इस मंदिर के निर्माण में बुद्ध विहार के जैन समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जो मंदिर के विकास में पूरी निष्ठा और सक्रियता से शामिल था। मंदिर में पंचकल्याणक का आयोजन 21 वर्ष पहले, सन् 2004 में, आचार्य श्री 108 दर्शन सागर जी महाराज के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ था। यहां एक वेदी स्थापित है, जिसमें मूलनायक श्री 1008 महावीर भगवान जी की सफेद पाषाण से बनी अत्यंत आकर्षक पद्मासना प्रतिमा विराजमान हैं। इसके अतिरिक्त, मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान, श्री पदम्प्रभु भगवान, श्री चंदाप्रभु भगवान, श्री शांतिनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य भगवान, श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान, श्री नेमिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान और एक अन्य श्री महावीर भगवान की प्रतिमाएं सहित कुल 11 प्रतिमाएं स्थापित हैं। वेदी के निर्माण में मकराने का पत्थर इस्तेमाल किया गया है।
मंदिर के शिखर पर भी मकराने के पत्थर से नक्काशी की गई है, और वेदी व शिखर के निर्माण में लोहे का कोई प्रयोग नहीं किया गया है। मंदिर के दर्शन करते ही यह स्पष्ट हो जाता है कि इसके निर्माण में कितने सक्षम और कुशल कारीगरों का योगदान रहा है। यहाँ नित्य पूजा-पाठ और अर्चना समयानुसार की जाती है। इसके अलावा, मंदिर में महावीर जयंती जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं, और सिद्ध चाकर जैसे विशेष विधानों का आयोजन भी समय-समय पर किया गया है।
अतिशय की घटना
मंदिर के इतिहास में एक ऐसा वाकया हुआ है, जो सुनने पर हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है। एक बार मंदिर में चोर इतने रहस्यमयी तरीके से घुसे कि पुजारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। चोरों ने मंदिर का सारा सामान एकत्रित कर लिया और भागने की तैयारी की। लेकिन जैसे ही वे मंदिर से बाहर जाने लगे, अचानक उनके सामने अंधेरा छा गया। कुछ समय बाद, एक तेज़ रोशनी दिखाई दी, जिससे उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मानो उन्हें वापस लौटने का इशारा किया जा रहा हो। इस अजीब अनुभव के बाद, चोरों ने चोरी किया हुआ सारा सामान वहीं छोड़ दिया और वहां से भाग गए। बाद में जब चोर पकड़े गए, तो यह रहस्य सामने आया। मंदिर से जुड़े जैन समाज के लोग मानते हैं कि अगर उस दिन भगवान की कृपा मंदिर पर नहीं होती, तो कई बहुमूल्य वस्तुएं चोरी हो चुकी होतीं, जिनमें दुर्लभ प्रतिमाएं और छत्र भी शामिल थे। यह घटना आज भी मंदिर के इतिहास का एक अविस्मरणीय हिस्सा बन चुकी है।
जैन समाज एवं सुविधाए
बुद्ध विहार में स्थित जैन मंदिर के आसपास एक आस्तिक और मिलनसार समुदाय बसा हुआ है। मंदिर के पास लगभग 15 से 20 जैन परिवारों के घर हैं, जबकि बुद्ध विहार में करीब 90 से 100 जैन परिवार निवास करते हैं। यहां प्रतिदिन 100-150 लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और मंदिर द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता भी निभाते हैं। मंदिर में दो कमरों की व्यवस्था है, जो पूरी तरह से सुविधाजनक हैं और इनका उपयोग अन्य जैन मंदिरों और स्थानों से आए महाराज जी के ठहरने के लिए किया जाता है।
दिल्ली क्षेत्र के बारे में
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली भारत की राजधानी और एक केंद्र-शासित प्रदेश है। भारत की राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों- कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय दिल्ली में ही स्थापित हैं। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है, और पुराणों में इसका विशेष महत्व है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं।
दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत महापुराण में मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ महाभारत काल में पांडवों की राजधानी थी। दिल्ली केवल भारत की राजधानी ही नहीं अपितु यह एक पर्यटन का मुख्य केन्द्र भी है। राजधानी होने के कारण भारत सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं; प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। पुरातात्विक दृष्टि से पुराना किला, सफदरजंग का मकबरा, जंतर मंतर, क़ुतुब मीनार और लौह स्तंभ जैसे अनेक विश्व प्रसिद्ध निर्माण यहाँ पर आकर्षण का केन्द्र समझे जाते हैं। लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहाँ हैं जैसे बिरला मंदिर, कात्यायिनी शक्तिपीठ, लाल जैन मंदिर, बंगला साहब गुरुद्वारा, बहाई मंदिर, अक्षर धाम मंदिर और जामा मस्जिद देश के शहीदों का स्मारक इंडिया गेट, राजपथ पर इसी शहर में निर्मित किया गया है। वर्तमान समय में दिल्ली सम्पूर्ण भारत के व्यापार का मुख्य केंद्र बन चूका है। भारत की राजधानी दिल्ली में करीब 200 से 250 जैन मंदिर हैं।
समिति
मंदिर के सुचारू संचालन और गंभीर मामलों में उचित निर्णय लेने के लिए 16 सदस्यों की एक समिति मंदिर में कार्यरत है। इस समिति में से मुख्य रूप से मंदिर के कार्यों का प्रबंधन वर्तमान में जिन व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है, उनके नाम हैं :
प्रधान: श्री ललित जैन
उप-प्रधान: श्री अजीत कुमार जैन, श्री श्यामलाल जैन, श्री लोकेश जैन
महामंत्री : श्री मनीष जैन
मंत्री: श्री निखिल जैन
कोषाध्यक्ष: श्री पदम चंद जैन
प्रचार मंत्री: श्री विजय जैन