गोलाकोट अतिशय क्षेत्र

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र गोलाकोट
  • निर्माण वर्ष
    प्रतिमाएँ 3000 वर्ष प्राचीन
  • स्थान
    खनियांधाना, जिला शिवपुरी, मध्य प्रदेश
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक
गोलाकोट जैन मंदिर जी परिचय
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खनियाधाना से महज 8 किमी दूर दक्षिण दिशा में बुंदेलखण्ड विंध्याचल पंच पर्वतों के मध्य स्थित गोलाकोट मंदिर, जैन समाज के लिए अति विशिष्ट स्थान रखता है। पहाडियों के गोल अनुरूप बना है इसलिए इस मंदिर जी को गोलाकोट मंदिर जी कहा जाता है। शिवपुरी के अंचल में पुरातत्व धरोहरों के रूप में गोलाकोट जैन मंदिर एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर कई तपस्वियों मुनियों द्वारा अभिषेक के दौरान साक्षात ईश्वर का आभास प्राप्त किया गया है। जिसके परिणाम स्वरूप यहाँ सर्वाधिक जैन समाज के मुनि, तपस्तवी, संतों का आवागमन समय-समय पर लगा रहता है। चार्तुमास के दौरान भी जैन समाज के संतों ने इस पावन धरा को पवित्र किया है। जैन समाज के लिए मंदिर जी एक ऐतिहासिक धरोहर है यही कारण है कि प्रतिवर्ष यहां लाखों श्रद्धालु मंदिर जी में इन अतिशयकारी भगवान जिनेन्द्र जी की प्रतिमाओं के दर्शन करने आते है।

मंदिर जी में 24वें तीर्थकर भगवान श्री महावीर स्वामी से पूर्व के सभी तीर्थंकर, श्री 1008 आदिनाथ भगवान से श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी तक की प्रतिमाएँ, यहाँ की पुरातत्व धरोहरें अपने आप में संजोए हुए है। अतः यह अनुमान लगाया जाता है की सभी प्रतिमाएँ श्री महावीर भगवान के समय से पूर्व की है और 3000 वर्ष से अधिक प्राचीन हैं। मंदिर जी की मूल प्रतिमा आदिनाथ भगवान जी की है। यहाँ के इतिहास के बारे में बताया गया है कि इस पहाड़ी पर दिगम्बर जैन समाज के लगभग 700 परिवार देदामूरी गौत्र के निवास करते थे और इन परिवारों द्वारा ही यहाँ श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की मूल प्रतिमा का अभिषेक भी किया जाता था। स्थानीय जैन समाज के प्रयासों व प्राकृतिक रूप से यहाँ लगभग 900 कुएँ और 89 बाबड़ी मौजूद थे। बताया जाता है कि आज भी यहाँ स्थित बाबड़ीयों में स्नानादि से चर्म रोग के रोगीयों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

पहले जमीन से 264 सीढिय़ों के चढऩे के उपरांत गोलाकोट मंदिर जी में पहुँचा जाता था। मंदिर जी तक पहुँचने के लिए यात्रियों को सीढिया न चढ़नी पड़े, इसलिए मंदिर जी के लिए पक्के मार्ग का निर्माण किया गया है। गोलाकोट मंदिर से महज 2 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम गूडर में स्थित अति प्राचीन जैन मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र बिन्दु है। सर्वप्रथम गोलाकोट होते हुए धर्मावलंबी इसी मंदिर जी में दर्शन करते हुए पहुंचते है। धीरे धीरे जैन समाज के क्षेत्र से प्लायन के कारण आज जैन परिवारों की संख्या बहुत कम रह गई है।

क्षेत्र का नव निर्माण

वर्ष 2014 में पहली बार दिल्ली के पूर्व आई.पी.एस. श्री ऐस.के. जैन जी जयपुर जैन फ्रेंड्स असोसिएशन के 7 लोगों के संघ को लेकर अतिशय क्षेत्र गोलाकोट जी आए। यहाँ आकर उन्होंने श्री आदिनाथ भगवान जी के दर्शन किए। सभी लोग भगवान आदिनाथ जी के दर्शन कर भाव विभोर हो गए। लेकिन क्षेत्र की हालत देखकर काफी दुखी हुए। क्षेत्र के अधिष्ठाता श्री विनय जैन जी ने उन्हें मंदिर जी की स्थिति का वर्णन करते हुए बताया की मंदिर जी में आस-पास के क्षेत्रों से लोग वर्ष में केवल एक बार ही मंदिर जी में आकर दर्शन करते है। मंदिर जी की देख-रेख के लिए समाज द्वारा किसी प्रकार का योगदान नहीं दिया गया है। विनय जैन जी के द्वारा यह जानकर श्री अस.के. जैन जी ने साथ आए जयपुर जैन फ्रेंड्स असोसिएशन के 7 लोगों के साथ मिलकर क्षेत्र का निरक्षण किया। उन्होंने क्षेत्र के अधिष्ठाता श्री विनय जैन जी को आश्वासन दिया की मंदिर जी में फिर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आकर दर्शन करेंगे। श्री सतीन्द्र कुमार जैन, श्री राकेश जैन (वास्तुकार), श्री सुधीर जैन जी (सी.ए.) के नेतृत्व और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं मुनि श्री 1008 सुधासागर जी महाराज के मार्गदर्शन व प्रेरणा से क्षेत्र का विकास कार्य आरंभ हुआ।


कथा अतिशय की

वर्ष 2013 में परम् पूज्य मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज गोलाकोट पर पधारे थे। उस समय आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा एक छोटे से झरोखे में स्थापित थी। प्रतिमा जी के दर्शन करते ही महाराज जी का कहना था की इतनी ऊर्जावान प्रतिमा मैंने आज तक नहीं देखी तथा इसका अतिशय तभी दिखेगा जब इसे इस झरोखे से बाहर लाया जाएगा। झरोखे का दरवाजा इतना छोटा था कि प्रतिमा को निकालना आसान नहीं था। 5-6 व्यक्तियों के मिलकर प्रयास से भी प्रतिमा जी को बाहर लाने में सफल नहीं हो सकें, तब महाराज जी ने 5 मिनट का ध्यान लगाया तथा उसके बाद उन्होंने 4 व्यक्तियों को प्रतिमा जी को उठाने के लिए कहा। इस बार प्रतिमा जी बहुत ही हल्की अनुभव हुई तथा बड़ी ही सहजता से झरोखे से बाहर निकाली गई तथा वर्तमान में मंदिर जी में स्थापित की गई। महाराज जी का कथन था कि आने वाले समय में बहुत जल्द गोलाकोट पुनः अपनी सर्वोच्च ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। वह दिन दूर नहीं जब विश्व के कोने-कोने से लोग यहाँ दर्शन करने आएँगे।


सुविधाएं एवं धर्मशाला

क्षेत्र की उत्तर दिशा में निर्मित यात्री निवास में भूतल पर स्वागत कक्ष कार्यालय, बच्चों के खेलने का कक्ष, आधुनिक सार्वजानिक शौचालय महिला एवं पुरुष वर्ग के लिए, वातानुलित सभागार दोनों तरफ लिफ्ट, प्रथम तल पर 15 आधुनिक सुसज्जित कमरें सभी यात्रयों के बैठने के लिए, 15 कमरें द्वितीय तल पर एवं 2 पारिवारिक पेन्ट हाउस जिसमें 3 शयन कक्ष एक रसोई का निर्माण किया गया है। मंदिर जी में आने वाले जैन साधु महाराज जी की साधना के लिए 25 लकड़ी की कुटियों का निर्माण किया गया है।

अन्नप्रासाद (भोजनशाला) - वातानुकूलित भोजनशाला आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित है। इनमें एक बार में 120 यात्री एक समय में बैठकर भोजन कर सकते है।

शोभा उद्यान - गोलाकोट क्षेत्र पर अतिथि यात्री निवास के समक्ष एक तितली के आकार का बाग विकसित किया गया है। क्षेत्र पर अभी तक लगभग 25,000 वृक्ष लगवाये जा चुके है।

श्री पाषाण जिनालय का निर्माण - गोलाकोट में महाराज जी के आशीर्वाद एवं निर्देशन में अति विशाल पाषाण मंदिर जी का एवं त्रिकाल चौबीसी जिनालय का निर्माण कार्य किया गया है।


क्षेत्र के बारे में

शिवपुरी जिला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। शिवपुरी नगर इसका जिला मुख्यालय है। शिवपुरी जिला अपने आप में ऐतिहासिक महत्व रखता है। माधव चौक, यह शिवपुरी नगर का मुख्य बाजार तथा मुख्य चौराहा है। यहाँ पर सभी प्रकार की दुकानें और बैंक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यह नगर का आकर्षण केंद्र है। क्षेत्रफल में शिवपुरी 10,278 कि०मी० में फैला है। शिवपुरी एक मुख्य पर्यटन स्थल है। शिवपुरी पूरे वर्ष सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है लेकिन प्रथम बारिश के बाद यहाँ की प्रकृति में चार चाँद लग जाते हैं। सैलानियों के ठहरने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटक गांव की स्थापना की गई है।


समिति

श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र गोलाकोट जी के संचालन का कार्य निम्नलिखित सदस्यों द्वारा किया जाता है :-

अध्यक्ष - शांति कुमार जैन जी (आई.पी.एस)

मंत्री - श्री राजीव जैन जी

उपाध्यक्ष - श्री ताराचंद जैन जी