मंदिर जी का परिचय
भगवान महावीर अभ्युदय अतिशय क्षेत्र, जिसे महावीर पार्क के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र हरियाणा के जिले गुरुग्राम में सदर बाजार के पास स्थित है। मंदिर जी के निर्माण से पहले यहाँ केवल पार्क हुआ करता था। वर्ष 1974 को 2500वां वीर निर्वाण उत्सव मनाया जा रहा था। उस समय हरियाणा के सिंचाई मंत्री स्व श्री बनारसी दास गुप्ता जी थे। उन्होंने 2500 वें निर्वाण उत्सव के उपलक्ष पर पार्क को भगवन महावीर स्वामी जी के नाम समर्पित कर दिया था। बाद में जब वे हरियाणा के चौथे मुख्यमंत्री बने तो फिर से एक बार क्षेत्र पर आए।
उस समय गुरुग्राम की जनसँख्या बहुत कम थी इसलिए पार्क की देख-रेख सुचारु रूप से नहीं हो रही थी। वर्ष 1996 में जैन समाज द्वारा एक वेदी का निर्माण करके श्री 1008 महावीर भगवान जी की प्रतिमा को विराजमान किया गया। इस तरह पार्क को मंदिर जी का रूप दिया गया। समय के साथ जैन समाज द्वारा मंदिर जी में अन्य निर्माण कार्य किए गए। मंदिर जी के परिसर में प्रवेश करने पर हमें विशाल मानस्तंभ के दर्शन होते है। मंदिर जी की मूलनायक प्रतिमा विशालकाय एवं मनोहारी श्री 1008 महावीर भगवान जी की है। मंदिर जी की दूसरी वेदी में श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है। मूलनायक प्रतिमा के साथ अन्य जैन तीर्थंकरो की प्रतिमाएँ भी वेदी में स्थापित है। मंदिर जी के परिसर में माता पद्मावती जी का मंदिर भी बना है। जिसमे माता पद्मावती जी की वेदी के साथ में ही जैन रक्षक देव श्री क्षेत्रपाल बाबा जी की वेदी विराजमान है। मंदिर जी के परिसर में निर्मित ध्यानकेन्द्र में ह्रीं में रत्नमयी चौबीसी विराजमान है। मंदिर जी के साथ में ही क्षेत्र के रक्षक देव जी का मंदिर बना है। जहाँ अन्य समाज के लोग अपने रीती-रिवाजो के अनुसार पूजा-अर्चना करते है।
जब भी किसी जैन साधु महाराज जी का आगमन क्षेत्र पर होता है तो वे भगवान महावीर अभ्युदय अतिशय क्षेत्र आकर दर्शन अवश्य करते है। मंदिर जी में सुचारु पूजा-प्रक्षाल एवं जलाभिषेक पंडित श्री सुभम शास्त्री जी के द्वारा किया जाता है। शास्त्री जी द्वारा क्षेत्र में सिद्धचक्र महामण्डल विधान, वस्तुविधान, विवाह संस्कार (फेरे), ग्रह प्रवेश, श्री भक्ताम्बर पाठ, पद्मावती माता की चौंकी, नामकरण संस्कार, वास्तु अनुसार भवन निर्माण, शक्ति विधान, नवग्रह विधान, पंचपरमेष्ठी विधान आदि जैन मांगलिक कार्यकर्म सम्पन्न किए जाते है। क्षेत्र के दिगम्बर जैन समाज, श्वेतांबर जैन समाज, तेरापंथी जैन समाज एवं बीसपंथी जैन समाज सभी की आस्था मंदिर जी को लेकर एक सम्मान है। आवश्यकता अनुसार सभी समाज के लोग एक साथ मिलकर कार्यो में हाथ बढ़ाते है।
जैन समाज एवं सुविधाए
वर्तमान में गुरुग्राम हर प्रकार की सुविधाओं से युक्त एक इंडस्ट्रियल हब बन चुका है, जहाँ भिन्न-भिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते है। गुरुग्राम में लगभग सात सौ से आठ सौ जैन परिवारों का समाज है। क्षेत्र में कई जैन मंदिर स्थापित है, प्रत्येक मंदिर जी के लिए समिति का निर्माण किया गया है। गुरुग्राम में ही सदर बाजार महावीर चौक पर भगवान महावीर अभ्युदय अतिशय क्षेत्र (महावीर पार्क) स्थित है। मंदिर जी में प्रतिदिन जैन श्रावकों का आगमन होता रहता है। श्रावकों के लिए शुद्ध वातावरण की व्यस्था मंदिर जी में उपलब्ध है। मंदिर जी के साथ में ही एक बड़ा हॉल बना हुआ है जिसका उपयोग किसी विशेष समारोह में किया जाता है। मंदिर जी में दूर के क्षेत्रों से दर्शन करने आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था के रूप में आठ कमरों का निर्माण किया गया है। मंदिर ही से मात्र आठ सौ मीटर की दुरी पर जैकमपुरा में श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। मंदिर जी के साथ में भगवान पार्श्वनाथ चैरिटेबल मेडिकेयर सेंटर चलाया जाता है। जिसमें होम्योपैथिक, फिजियोथेरेपी सेंटर, आई सेंटर, डेन्टिस्ट, बच्चों के स्पेशल डॉक्टर, स्कीन के डॉक्टर अदि की सुविधा उपलब्ध है।
क्षेत्र के बारे में
गुरुग्राम या गुड़गाँव हरियाणा राज्य का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है। यह दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) का हिस्सा है। गुरुग्राम एक व्यापारिक, आर्थिक और आधुनिक शहर है जो तेजी से विकसित हो रहा है। यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है। लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था। उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया था। गुरुग्राम यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके साथ ही गुरुग्राम एक महत्वपूर्ण तांत्रिक क्षेत्र भी है जिसमें बड़ी IT कंपनियाँ,बैंक,वित्तीय संस्थान आदि हैं। गुरुग्राम का आधुनिक शहरी विकास आधुनिक आवासीय परियोजनाओं,शॉपिंग मॉल,रेस्तरां,होटल और आर्ट-कला संस्थानों के साथ-साथ एक सामाजिक और सांस्कृतिक हब के रूप में भी विकसित हो रहा है। गुरुग्राम के पास कई ऐतिहासिक स्थल हैं- जैसे की शेषधरी, सुल्तानपुर जील, और सुल्तानपुर नेशनल पार्क जो प्राकृतिक सौंदर्य को अपने आप में समेटे हैं। समाज के लिए गुरुग्राम के पास अच्छे शिक्षा संस्थान,अस्पताल अन्य सुविधाएं हैं। इसके अलावा शहर में विभिन्न धार्मिक स्थल भी हैं। इसके साथ ही गुरुग्राम का सांस्कृतिक जीवन भी विविधता से भरा हुआ है। यहाँ कई आर्ट गैलरी, नृत्य और संगीत के केंद्र हैं जो शहर की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करते हैं। सम्पूर्ण रूप से गुरुग्राम एक व्यापारिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से एक बहुमुखी शहर है जो भारतीय राज्य हरियाणा में स्थित है।
समिति
मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
पण्डित जी - श्री शुभम जैन
प्रधान - श्री सतीश जैन
अन्य सदस्य- श्री वी.के. जैन, श्री सुभाष जैन, श्री नरेन्द्र जैन, श्री सुदर्शन जैन