मंदिर जी का परिचय

दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में स्थित जैन नगर का यह भव्य जैन मंदिर आध्यात्मिकता, सामाजिक सौंदर्य और सकारात्मकता का प्रतीक है। वर्ष 2009 में स्थापित इस पवित्र मंदिर का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह आचार्य श्री दर्शन सागर महाराज जी के सानिध्य में संपन्न हुआ था। यह मंदिर जैन धर्म की परंपराओं और मूल्यों को उत्कृष्ट रूप से संरक्षित एवं प्रस्तुत करता है। इसकी भव्य संरचना में संगमरमर का व्यापक उपयोग किया गया है, जो मंदिर जी में आत्मिक शांति और पवित्रता का संचार करता है। मंदिर के मूलनायक श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान की भव्य प्रतिमा काले पाषाण से निर्मित है, जो मंदिर परिसर में श्रद्धापूर्वक विराजमान है। वेदी में मुनिसुव्रतनाथ भगवान के साथ पंचबालयति तीर्थंकरों और भारत-बहुबली भगवान की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।
मंदिर के भीतर प्रत्येक 24 तीर्थंकरों की तीन-तीन प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की गई हैं - जिनमें से एक पाषाण निर्मित है और दो अष्टधातु से निर्मित हैं। इसके अतिरिक्त, सभी चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमा के साथ गणधर की प्रतिमा भी यहां स्थापित की गई है, जो इस मंदिर को विशेष और अद्वितीय बनाती है। मंदिर के शिखर पर भी श्री पार्श्वनाथ भगवान की एक उत्कृष्ट संगमरमर निर्मित वेदी विद्यामान है जिसमे अन्य पाषाण से निर्मित प्रतिमाएं भी अंकित है, जो अपनी भव्यता से भक्तों का ध्यान आकर्षित करती है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में एक मानस स्तंभ भी निर्मित किया गया है, जो आध्यात्मिक चेतना को जागृत करता है। मंदिर में प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक महीने के अंतिम शनिवार को श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान का विशेष विधान एवं शनि अमावस्या का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, सिद्ध चक्र विधान और अन्य आध्यात्मिक आयोजन होते रहते हैं। दसलक्षण पर्व और भगवान महावीर जयंती जैसे प्रमुख जैन पर्व यहां अत्यंत भव्यता के साथ मनाए जाते हैं।
मंदिर से जुड़ी एक विशेष और अतिशयकारी घटना वर्ष 2016 में चतुर्मास के दौरान देखी गई थी, जब मूलनायक भगवान की प्रतिमा का स्वतः अभिषेक हुआ। इस दिव्य घटना ने समस्त जैन समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया और मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति को प्रमाणित किया। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यहां का शांत और पावन वातावरण हर आगंतुक को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। जैन समाज के श्रद्धालु इस मंदिर के धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों में विशेष रूप से सहयोग करते हैं, जिससे यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र बना हुआ है, बल्कि धार्मिक चेतना को भी प्रेरित कर रहा है।
जैन समाज एवं सुविधाए
श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के जैन नगर में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इस मंदिर के सबसे निकटतम मेट्रो स्टेशन रिठाला है, जहां से जैन नगर के लिए सार्वजनिक परिवहन की सुविधा आसानी से उपलब्ध होती है। यह क्षेत्र तीर्थंकर नगर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां मुख्य रूप से जैन समुदाय के लोग निवास करते हैं। मंदिर के आसपास लगभग 60 जैन परिवार बसे हुए हैं, जो नियमित रूप से यहां आयोजित होने वाले धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करते हैं। इनमें से करीब 30-35 श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि समाज कल्याण के कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनहित में मंदिर द्वारा समय-समय पर विभिन्न सामाजिक सेवाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें अब तक 1-2 आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर भी आयोजित किए जा चुके हैं। मंदिर परिसर में दो से तीन विशाल और सुव्यवस्थित कक्ष बनाए गए हैं, जहां अन्य स्थानों से पधारे जैन मुनिराजों के ठहरने की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। ये कक्ष सभी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित हैं, जिनमें से एक कक्ष में एसी की विशेष सुविधा भी मंदिर प्रशासन द्वारा प्रदान की गई है, ताकि विश्राम एवं साधना के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, बाहरी श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए भी मंदिर में ठहरने की उचित व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है, जिससे उनकी यात्रा सहज और सुविधाजनक बनी रहे।
दिल्ली क्षेत्र के बारे में
दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत महापुराण में मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ महाभारत काल में पांडवों की राजधानी थी। दिल्ली केवल भारत की राजधानी ही नहीं अपितु यह एक पर्यटन का मुख्य केन्द्र भी है। राजधानी होने के कारण भारत सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं; प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। पुरातात्विक दृष्टि से पुराना किला, सफदरजंग का मकबरा, जंतर मंतर, क़ुतुब मीनार और लौह स्तंभ जैसे अनेक विश्व प्रसिद्ध निर्माण यहाँ पर आकर्षण का केन्द्र समझे जाते हैं। लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहाँ हैं जैसे बिरला मंदिर, कात्यायिनी शक्तिपीठ, लाल जैन मंदिर, बंगला साहब गुरुद्वारा, बहाई मंदिर, अक्षर धाम मंदिर और जामा मस्जिद देश के शहीदों का स्मारक इंडिया गेट, राजपथ पर इसी शहर में निर्मित किया गया है। वर्तमान समय में दिल्ली सम्पूर्ण भारत के व्यापार का मुख्य केंद्र बन चूका है। भारत की राजधानी दिल्ली में करीब 200 से 250 जैन मंदिर हैं।
समिति
मंदिर जी के सुव्यवस्थित संचालन एवं प्रबंधन के लिए आचार्य श्री दर्शन सागर धर्मा ट्रस्ट का गठन किया गया है। मंदिर समिति में निम्नलिखित प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हैं:
श्री विजय जैन जी - पीतमपुरा
श्री अभय जैन - जैन नगर
श्री राकेश जैन - अशोक विहार
श्री बलवंत जैन - त्रिनगर