कैलाश पर्वत जैन मंदिर
-kailash-parvat-mandir-hastinapur-.jpg

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 आदिनाथ भगवान दिगम्बर जैन मंदिर, हस्तिनापुर
  • निर्माण वर्ष
    गर्भगृह का निर्माण सन् 1996 में हुआ
  • स्थान
    हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 5 बजे से सांय 8 बजे तक
मंदिर जी परिचय

जिस धरा पर श्री आदिनाथ भगवान जी ने राजा सोमप्रभ श्रेयांश के द्वारा इक्षु रस का आहार प्राप्त कर अक्षय तृतीया जैसे पावन पर्व का सूत्रपात किया और इस धरा को पवित्र किया। उपरांत भगवान श्री शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ के गर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणकों की यह पवित्र धरा साक्षी भी बनी है। कल्याणक स्थलों पर नसिया जी में तीनों तीर्थंकरों के चरणचिन्ह निर्मित हैं। यहाँ पर भगवान मल्लिनाथजी का समवशरण आया था। महाभारत काल में पाण्डवों तथा कौरवो की राजधानी रही हस्तिनापुर जो आज दिल्ली से 107 किलोमीटर तथा मेरठ से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पूज्य आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज (हस्तिनापुर वाले) की प्रेरणा व मुनि श्री आदि सागर जी महाराज, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की परम् शिष्या दृढमति माता जी के आशीर्वाद से 3 मार्च 1996 को मंदिर जी का शिलान्यास संपन्न हुआ। वर्तमान में मंदिर जी को श्री 1008 कैलाश पर्वत दिगम्बर जैन मंदिर जी के नाम से जाना जाता है। मंदिर जी की ऊँचाई भूमि से 131 फिट ऊँची है। मंदिर जी में 72 जिनालयों का निर्माण किया गया है, जिन्हे त्रिकाल चौबीसी कहते है। त्रिकाल चौबीसी के द्वारा भूतकाल, वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल के 24 तीर्थंकरों के बारे में पता चलता है। मंदिर जी के परिसर में सुन्दर अशोक वाटिका का निर्माण किया गया है, जहाँ यात्री कुछ समय रुककर मंदिर जी की भव्यता का आनंद उठाते है। मंदिर जी में कुल 2100 सीढ़िया बनी हुई है, जो यात्री सीढ़ियों पर चढ़ कर मंदिर जी के दर्शन नहीं कर सकते उनके लिए लिफ्ट का प्रबंध किया गया है। मंदिर जी में मूल प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर श्री 1008 भगवान आदिनाथ जी की है, जो लगभग 11.5 फिट ऊँची है। कैलाश पर्वत को अष्टापद पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। जैन श्वेताम्बर समाज के द्वारा क्षेत्र में अष्टापद पर्वत जैन मंदिर जी का निर्माण भी किया गया है।


सुविधाएं एवं धर्मशाला

मंदिर जी में आने वाले यात्रियों के लिए क्षेत्र में ठहरने की व्यवस्था बनी है। क्षेत्र में बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए 185 आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) के साथ तथा 125 कमरे (बिना बाथरूम) के साथ उपलब्ध है। यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 2500 है। क्षेत्र पर तीन हॉल तथा एक गेस्ट हाऊस निर्मित है। यात्रियों के भोजन के लिए भोजनशाला नियमित रूप से उपलब्ध है। क्षेत्र में ही श्री दिगम्बर जैन उत्तर-प्रांतीय गुरूकुल एवं श्री दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, हस्तिनापुर का निर्माण किया गया है।


मेरठ क्षेत्र के बारे में

दिल्ली से मेरठ की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है। जनसँख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का यह पाँचवाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। कानपूर के बाद सैन्य छावनी में मेरठ दूसरे अंक पर आता है। मेरठ को स्पोर्टस सिटी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सीमाएँ गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर तथा बुलंद शहर से लगती है। मेरठ का इतिहास महाभारत काल से भी रहा है। महाभारत में मेरठ को मायाराष्ट्र कहा जाता था। सन 1857 की क्रांति में शहीद हुए क्रांतिकारियों की याद में यहाँ शहीद स्मारक स्थापित है। भारत में कैंची का निर्यात मेरठ से ही होता है। मेरठ में जम्बूद्वीप मंदिर, अष्टापद मंदिर तथा भगवान शांतिनाथ मंदिर अन्य कई जैन मंदिर स्थापित है।


समिति

श्री दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र प्रबन्धकारिणी समिति, हस्तिनापुर द्वारा श्री कैलाश पर्वत दिगम्बर जैन मंदिर जी का संचालन किया जाता है। समिति के सदस्य इस प्रकार है -

अध्यक्ष - श्री त्रिलोकचन्द जैन, दिल्ली

महामंत्री - श्री मुकेश जैन सर्राफ, मेरठ

प्रबन्धक - श्री मुकेशकुमार जैन, हस्तिनापुर