परिचय
इस मंदिर जी के मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान जी है। प्रारम्भ में भगवान आदिनाथ जी की पाषाण की प्रतिमा जी के अतिरिक्त भगवान पद्मप्रभु एवं भगवान महावीर स्वामी जी की अष्टधातु की प्रतिमा जी विराजमान थी। भगवान श्री 1008 आदिनाथ जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा गन्नौर पंचकल्याणक में और भगवान श्री पद्म प्रभु एवं भगवान महावीर स्वामी जी की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा सफीदों पंचकल्याणक में हुई थी। 2017 में दो प्रतिमाएँ भगवान शांतिनाथ एवं भगवान पार्शवनाथ जी की और विराजमान हुई। इन प्रतिमाओं की शुद्धि हांसी पंचकल्याणक में हुई थी। यह पंचकल्याणक आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री वीर सागर जी महाराज, मुनि श्री विशाल सागर जी महाराज एवं मुनि श्री धवल सागर जी महाराज जी के सानिध्य में हुआ था।
मंदिर जी में एक घंटे का भक्तामर जी का स्त्रोत पाठ किया जाता है। कभी-कभी 48 दीपक जलाकर स्त्रोत जी के प्रत्येक काव्य, उपरांत मन्त्र पढ़कर एक दीपक जलाया जाता है। भक्तामर स्त्रोत का पाठ पिछले 3 वर्षो से लगातार हो रहा है और भगवान आदिनाथ जी की कृपा से भविष्य में भी होता रहेगा। यहाँ पर लगभग 25 परिवारों का जैन समाज है और वे भी मंदिर जी से 5-7 किलोमीटर की दूरी पर रहते है। अतः एक पुजारी जी की व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन समाज के लोग तथा पुजारी मिलकर अभिषेक शांतिधारा तथा पूजन करते है। दशलक्षण पर्व एवं महावीर जयंती प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाई जाती है। इसके अतिरिक्त पाँचो भगवान (जो मंदिर जी में विराजमान है ) के जन्म एवं मोक्ष कल्याणक पर उनके निमित विधान किया जाता है तथा मोक्ष कल्याणक पर लड्डू भी सामूहिक रूप में चढ़ाया जाता है।
कुरुक्षेत्र का इतिहास
वैसे तो धर्म नगरी कुरुक्षेत्र किसी जानकारी का मोहताज नहीं है फिर भी इस नगरी में ब्रह्म सरोवर, सन्निहित सरोवर, बिड़ला मंदिर, (ये तीनो स्थान मंदिर जी के निकट है) ज्योतिसर तीर्थ, पैनोरमा, शेखचिल्ली का मक़बरा, गुरुद्वारा छठी पातशाही तथा अनेक वैष्णो मंदिर दर्शनीय है। हाल ही में निर्मित तिरुपति बाला जी का मंदिर (जैन मंदिर से दूरी मात्र एक कि० मी०) दर्शनीय है। कुरुक्षेत्र का आर्य सभ्यता और पवित्र सरस्वती के उदय के साथ इसके विकास से गहरा संबंध है। यह वह भूमि है जहाँ मनुस्मृति, ऋषि मनु द्वारा लिखी गई थी। कुरुक्षेत्र का नाम राजा कुरु के नाम पर रखा गया था। जिससे इस भूमि और इसके लोगों की समृद्धि के लिए महान बलिदान हुए।
कुरुक्षेत्र जैन समाज
यहाँ छोटा सा दिगम्बर जैन समाज है। जिसमें अधिकतर रिटायर्ड कर्मचारी है। यहाँ मैं उल्लेख करूँगा कुरुक्षेत्र गौरव डॉ धर्मचन्द्र जैन (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत) आप प्राकृत भाषा के विद्वान है तथा राष्ट्रपति अवार्ड से भी आपको नवाजा गया है। लगभग 80 वर्ष की आयु में भी आप मंदिर के कार्यक्रमो में बढ़-चढ़ कर भाग लेते है |
समिति
मंदिर जी के संचालन हेतु मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -