मंदिर जी का परिचय

पानीपत के जैन मौहल्ले में बड़ा जैन मंदिर से कुछ दुरी पर स्थित है, श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मंदिर जिसे छोटा मंदिर जी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर जी का निर्माण वर्ष एवं निर्माणकर्ता कौन है, इसकी वास्तविक पुष्टि करना संभव नहीं है। पुराने समय के जैन निवासियों द्वारा बताया जाता है की मंदिर जी का निर्माण आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व एक सेठ द्वारा करवाया गया था। सेठ के बारे में बताया जाता है कि उन के द्वारा भारतवर्ष में 100 से भी अधिक जैन मंदिर बनवाए गए। वे जिस भी क्षेत्र पर जाते एक जैन मंदिर अवश्य बनवाते। वह जितने भी जैन मंदिर बनवाते थे उनकी सीढ़ियों का कार्य रोक देते थे। यदि उनसे कोई सीढ़ियां बनवाने के लिए पूछता तो वह कहते थे कि सीढ़ियों के निर्माण के लिए उनके पास धन राशि खत्म हो गई है, अन्तः यह कार्य जैन समाज द्वारा ही पूरा किया जाए। यही उनका लक्ष्य था। क्योकि सेठ नहीं चाहते थे की मंदिर के निर्माण में उनका नाम लिखा जाए। वे जितने भी मंदिर बनवाते उस मंदिर का नाम पंचायती मंदिर रख देते। पंचायती मंदिर नाम रखने के पीछे का लक्ष्य यह था की, मंदिर जी का निर्माण केवल एक व्यक्ति द्वारा नहीं अपितु सम्पूर्ण समाज द्वारा किया गया है।
वर्तमान मंदिर जी की बात करे तो छोटा जैन मंदिर जी में मूलतः दो वेदी है एक महावीर भगवान जी की और दूसरी जिनवाणी माता जी की। मूल वेदी में श्री 1008 महावीर भगवान जी की प्रतिमा के साथ, श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री सुपार्श्वनाथ भगवान, श्री नेमिनाथ भगवान, श्री चन्द्रप्रभु भगवान एवं सिद्ध भगवान जी की प्रतिमाएँ विराजमान है। वेदी की बाहरी तरफ तीर्थंकर माता द्वारा देखे जाने वाले सोलह स्वप्न को स्वर्ण चित्र द्वारा दर्शाया गया है। वेदी के बाहरी द्वार पर इंद्रो द्वारा पुष्प वृष्टि, रतन वृष्टि, चंवर दुराते एवं देव दुन्दुभी आदि से प्रभु की आराधना करते हुए इंद्रो के जोड़े देखने को मिलेंगे। जिसकी कलाकृति बहुत सुंदर प्रतीत होती है। मंदिर जी में एक जैन शास्त्र भण्डार है। शास्त्र भण्डार को हरियाणा की सबसे बड़ी जैन लाइब्रेरी भी कहा जाता है। यहाँ लोग दूर-दूर से शास्त्रों का अध्यन करने आते है। यहाँ पर हजारों वर्ष प्राचीन संस्कृत एवं उर्दू भाषा में लिखित शास्त्र संग्रहित है। शास्त्र भण्डार का नाम अब माता श्री कौशल साधना कक्ष रखा है। शास्त्र भण्डार में जिनवाणी माता का बहुत सुन्दर मंदिर बना हुआ है।
जैन समाज एवं सुविधाए
पानीपत में जैन समाज 100 से 150 परिवारों का है। केवल 100 से 150 परिवार होते हुए भी जैन समाज द्वारा हर प्रकार के सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है। पानीपत में जैन समाज अलग-अलग क्षेत्रों पर होने के कारण दिगम्बर जैन मंदिर भी अलग-अलग क्षेत्रों पर स्थित है। अलग-अलग क्षेत्रों पर होने के बावजूद सभी मंदिरों का संचालन पानीपत पचरंगा बाजार बड़ा मंदिर दिगम्बर जैन समिति द्वारा ही किया जाता है। मंदिर जी में आने वाले श्रावकों की सुविधाओं का ध्यान समिति द्वारा रखा जाता है ताकि उन्हें पूजा प्रक्षाल एवं अभिषेक के समय किसी प्रकार की कठिनाई न हो। मंदिर जी में बाहर से आने वाले जैन यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था के रूप में श्री दिगम्बर जैन धर्मशाला निर्मित है। धर्मशाला में यात्रियों के लिए सात कमरे एवं दो बड़े हॉल की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर जी में किसी दूर के क्षेत्र से आए यात्रियों के वाहनों लिए पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। मंदिर परिसर में ही जैन मुनि महाराज जी के विहार करने पर विश्राम एवं आहार हेतु त्यागी भवन तथा भोजनशाला का निर्माण किया गया है। मंदिर जी की समिति द्वारा क्षेत्र में होम्योपैथिक सैंटर भी चलाया जाता है जिसमें नाममात्र शुल्क पर उचित दवाई उपलब्ध करवाई जाती है। बड़ा मंदिर परिसर में ही जैन किड्स स्कूल है जिसमें 5वी कक्षा तक बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
क्षेत्र के बारे में
पानीपत एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है जो हरियाणा राज्य, भारत में स्थित है। यह शहर भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का केंद्र रहा है। पानीपत का प्राचीन नाम 'पाण्डवप्रस्थ' था। यह दिल्ली-चंडीगढ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 पर स्थित है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के अन्तर्गत आता है और दिल्ली से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जैन धर्म के संबंधित साहित्य के अनुसार उस समय पानीपत को पानीपथ दुर्ग भी कहा जाता था। सन् 1526, 1556 और 1761 में तीन महत्वपूर्ण युद्ध लड़े गए थे। पानीपत की भाषा हरियाणवी हैं। पानीपत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा हैं। पानीपत में कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे कि पानीपत का किला,इब्राहीम लोदी का मकबरा,अब्दाली का मकबरा आदि। आधुनिक समय में पानीपत एक महत्वपूर्ण उद्योगिक केंद्र बन गया है। यहाँ पर कई उद्योगों की स्थापना हुई है और इसका अर्थव्यवस्था में महत्व है। पर्यटन में भी पानीपत का विशेष स्थान है क्योंकि यहाँ कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पानीपत भारतीय सांस्कृतिक विरासत का भी भंडार है जहाँ पानीपत के मेलों,त्योहारों और धार्मिक आयोजनों को भी महत्व दिया जाता है। पानीपत क्षेत्र भारतीय इतिहास,सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ की ऐतिहासिक गवाही, प्रमुख लड़ाइयों और सांस्कृतिक विरासत ने इसे एक विशेष स्थान दिया है।
समिति
स्थानीय जैन निवासियों द्वारा ही मंदिर जी का संचालन सुचारु रूप से किया जाता है। मंदिर जी के कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
प्रधान - श्री कुलदीप जैन जी
उप प्रधान - श्री सुरेश जैन जी
सचिव - श्री मनोज जैन जी
प्रबंधक - श्री मुकेश जैन जी