मंदिर जी का परिचय

पार्श्वस्थाली दिगम्बर जैन मंदिर, गुरुग्राम में दिल्ली से जयपुर रोड़ पर ही स्थित है। यह तीन मंजिला भव्य मंदिर दूर से आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर जी का मुख्य आकर्षण है मंदिर जी के सबसे ऊपरी तल पर विराजित श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की विशालकाय खड्गासन प्रतिमा जी। इस प्रतिमा जी के दर्शन आपको दिल्ली-जयपुर रोड से गुजरते हुए दूर से ही हो जाते है। मंदिर जी में प्रवेश करने पर आपको एक वेदी के दर्शन होंगे जिसमें अष्ट धातु से निर्मित श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री अरहनाथ भगवान, श्री कुन्थुनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं चौबीसी प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी की ऊपरी मंजिल में आने पर आपको पंचबालयती भगवान जी की वेदी के दर्शन होते है, जिसमें मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है। अंत में मंदिर जी के सबसे ऊपरी तल पर श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की कार्योत्सर्ग मुद्रा वाली प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है।
जैन समाज एवं सुविधाए
वर्तमान में गुरुग्राम हर प्रकार की सुविधाओं से युक्त एक इंडस्ट्रियल हब बन चुका है, जहाँ भिन्न-भिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते है। गुरुग्राम में लगभग सात सौ से आठ सौ जैन परिवारों का समाज है। क्षेत्र में कई जैन मंदिर स्थापित है, प्रत्येक मंदिर जी के लिए समिति का निर्माण किया गया है। इस मंदिर जी से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर, गुरुग्राम सदर बाजार में श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। सदर बाजार मंदिर जी के साथ में ही जैन धर्मशाला बनी हुई है। यदि कोई यात्री किसी दूर के क्षेत्र से मंदिर जी में दर्शन करने आता है तो उनके रुकने की व्यवस्था धर्मशाला में उपलब्ध करवाई जाती है। क्षेत्र में जैन मुनि महाराज जी का भी आगमन होता रहता है। महाराज जी के रुकने की व्यवस्था भी धर्मशाला में ही निर्मित त्यागी भवन में की जाती है। धर्मशाला के साथ में ही भगवान पार्श्वनाथ चैरिटेबल मेडिकेयर सेंटर चलाया जाता है। जिसमें होम्योपैथिक, फिजियोथेरेपी सेंटर, आई सेंटर, डेन्टिस्ट, बच्चों के स्पेशल डॉक्टर, स्कीन के डॉक्टर अदि की सुविधा उपलब्ध है।
क्षेत्र के बारे में
गुरुग्राम या गुड़गाँव हरियाणा राज्य का एक नगर है। यह दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) का हिस्सा है। गुरुग्राम एक व्यापारिक, आर्थिक और आधुनिक शहर है जो तेजी से विकसित हो रहा है। यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है। लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था। उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया था। गुरुग्राम यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके साथ ही गुरुग्राम एक महत्वपूर्ण आधुनिक क्षेत्र भी है जिसमें बड़ी आई टी कंपनियाँ, बैंक, वित्तीय संस्थान आदि हैं। गुरुग्राम का आधुनिक शहरी विकास आधुनिक आवासीय परियोजनाओं, शॉपिंग मॉल, रेस्तरां, होटल और आर्ट-कला संस्थानों के साथ-साथ एक सामाजिक और सांस्कृतिक हब के रूप में भी विकसित हो रहा है। गुरुग्राम के पास कई ऐतिहासिक स्थल हैं- जैसे की शेषधरी, सुल्तानपुर जील, और सुल्तानपुर नेशनल पार्क जो प्राकृतिक सौंदर्य को अपने आप में समेटे हैं। समाज के लिए गुरुग्राम के पास अच्छे शिक्षा संस्थान, अस्पताल अन्य सुविधाएं हैं। इसके अलावा शहर में विभिन्न धार्मिक स्थल भी हैं।
समिति
मंदिर जी का संचालन सुचारु रूप से स्थानीय जैन समाज द्वारा किया जाता है।