रानीला जी अतिशय क्षेत्र

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, रानीला जी
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का निर्माण सन् 2006 में हुआ / प्रतिमाएँ 1400-1500 वर्ष प्राचीन
  • स्थान
    रानीला जी, चरखी दादरी, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    प्रात: 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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हरियाणा के भिवानी जिले की चरखी दादरी तहसील में स्थित है श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर रानीला जी, जो रोहतक से लगभग 40 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 84 किलोमीटर की दूरी पर है और वर्तमान में हरियाणा का एक सबसे प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र है। रानीला जी, जैन समाज का पावन धार्मिक स्थल होने के कारण यहाँ जैन धर्मावलंबियों का जमावड़ा लगा रहता है। बताया जाता है की मध्यकालीन तोमर वंश और चौहान राजवंश के शाही संरक्षण के दौरान रानीला जी एक महत्वपूर्ण जैन केंद्र रहा है।

मंदिर जी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की नव-निर्मित भव्य त्रिकूट जिनालय में विधिवत विराजमान है। भगवान के जिनालय के साथ पश्चिम की ओर माता चक्रेश्वरी देवी का मंदिर तथा पूर्व की ओर चरण स्थल का निर्माण किया गया है। यह दोनों प्रतिमाएँ लाल बलुआ पत्थर की हैं, जो जाट रणजीत सिंह जी को अपने खेत में काम करते हुए खुदाई के दौरान दिनांक 18 अक्टूबर 1991 को मिली थी। ये प्रतिमाएँ 1400-1500 वर्ष से अधिक प्राचीन प्रतीत होती है। श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की प्रतिमा पर बहुत सुंदर जीण धर्म समवशरण का वर्णन भी है। छाती पर श्रीवत्स और आसन के नीचे बैल की नक्काशी के साथ धर्म चक्र बना हुआ है। साथ ही दोनों तरफ इन्द्रो द्वारा चँवर ढोरते हुए, हाथियों द्वारा पुष्प वर्षा माला के साथ उड़ते हुए इंद्र के जोड़े, अशोक वृक्ष के पते एवं मस्तक के ऊपर तीन छत्र जिसके ऊपर ढोलक बाजते हुए नक्काशी की गई है। इस तरह से यह प्रतिमा जी बाहु मडल प्रतीत होता है।

अप्रैल, 2006 में मन्दिर बनकर तैयार हुआ और उसके बाद मन्दिर में प्रतिमाओं को ​विराजमान किया गया। रानीला जी का यह भव्य मंदिर कला, सुन्दरता एवं आधुनिकता की दृष्टि से अनूठा व आकर्षित है। जैन समाज के लोगों का मानना है की जो भी इन सभी प्रतिमाओं को ध्यानअस्त होकर देखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। स्थानीय अजैन समाज का भी प्रतिमा के प्रति अटूट श्रद्धा बरकरार है। क्षेत्र का विकास आज भी जारी है।


कथा अतिशय की - खारा पानी हुआ मीठा

रानीला जी जैन मंदिर की कहानी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं अनेक अतिश्यो से परिपूर्ण है। सर्वप्रथम 18 अक्टूबर 1991 अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को एक जाट किसान श्री रणजीत सिंह द्वारा बड़े ही अतिशयकारी संयोजन से प्रगट हुई चन्दन रंग की एक मनोहारी प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवन की प्रतिमा जी एवं यक्षिणी चक्रेश्वरी देवी की अति सुन्दर कलात्मक प्रतिमा जी। प्रतिमा जी के प्रगट होने के बाद क्षेत्र का खारा पानी जो पीने योग्य नहीं था मीठे पानी में तब्दील हो गया व पीने योग्य बन गया।

एक बार परम पूज्य श्री 105 आर्यिका रत्न सृष्टि भूषण माता जी का क्षेत्र पर आगमन हुआ। यह उस समय की बात है जब माता जी घुटनों की समस्या से ग्रसित थी एवं क्षेत्र पर पहुँचने के बाद चलने में असमर्थ हो गई थी। वे एक दिन तन्मय होकर भक्तामर जी का पाठ कर रही थीं। तभी अनायास ही प्रतिमा जी से स्वयं गंदोदक निकलने लगा। यह देख वहां उपस्थित सभी श्रद्धालु गदगद होकर जय जयकार करने लगे। एक श्रद्धालु ने आगे बढ़कर माता जी को गंदोदक दिया जिसके स्पर्श करते ही माता जी पूर्णतः स्वस्थ हो गई। भक्तामर जी के पाठ के दौरान हुए अतिशय के पश्चात मंदिर जी में भक्तामर के 48 काव्य सुनहरे अक्षरों में अंकित करवाए गए। इस प्रकार क्षेत्र पर अतिशयो का प्रभाव समय समय पर देखने को मिलता है।


क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

यहाँ पर प्रतिमाएँ मिलने के बाद से क्षेत्र का विकास बहुत तेजी से हुआ है। यहाँ पर एक भी जैन परिवार ना होने के बाद भी यह क्षेत्र एक विकसित एवं विशाल स्वरुप ले चूका है। मंदिर जी में आवास के लिए 36 कमरे है। जिसमे अटैच बाथरूम की व्यवस्था है। साथ ही यहाँ पर 12 कमरे बिना बाथरुम के है। यहाँ पर यात्रियों के ठहराने की कुल क्षमता लगभग 250 है। यहाँ पर तीन बड़े हॉल है जिसका उपयोग किसी विशेष पूजा, प्रवचन एवं महाराज जी के आगमन पर उपयोग में आते है। एक भोजनशाला है जो नियमित व निशुल्क है। अत्यंत हर्ष की बात है की यहाँ जैन धर्म के अध्ययन, अनुसंधान आदि को समझने के लिए पुस्तकालय का निर्माण किया गया है जो युवा पीढ़ी को अपने जैन धर्म के बारे में जागरूक करने के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा।


प्रबंध समिति व्यवस्था

श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जी के प्रबंधन और सेवाओं को संचालित करने के लिए रानीला ट्रस्ट एवं प्रबन्धकारिणी समिति, चेरिटेबल ट्रस्ट का निर्माण किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य रानीला क्षेत्र में स्थित भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के लिए कार्य करना है, जिसमें मंदिर की सफाई, अनुष्ठान, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन और अन्य सेवाएं शामिल हैं। समिति के सदस्य इस प्रकार है -

अध्यक्ष - श्री जिनेन्द्र प्रसाद जैन, एडवोकेट, रोहतक

मंत्री - श्री नवहिन्द जैन, सी.ए., रोहतक

प्रबन्धक - श्री अनिल जैन