साढौरा बड़ा जैन मंदिर जी
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर (बड़ा मंदिर), जैन गली
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का गर्भगृह 200 वर्ष प्राचीन है
  • स्थान
    सढौरा, यमुनानगर, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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साढ़ौरा, हरियाणा प्रदेश के जिला यमुनानगर, रेलवे स्टेशन से 35 कि.मी की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों के तलहटी पर बसा एक अति प्राचीन क़स्बा है। साढ़ौरा में स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लगभग दो सौ वर्ष प्राचीन है। यह मंदिर लगभग 500 वर्ग़ गज जगह पर बना हुआ है। मंदिर के ऊपर तीन शिखर है। मुख्य शिखर की ऊंचाई 50 फुट है तथा अन्य दो शिखरों की ऊंचाई 30-30 फुट है। तीन शिखरों के साथ मंदिर जी के ऊपर पंचमेरू बने है। वर्तमान में ऐसी प्राचीन कला मंदिरों में बहुत कम देखने को मिलती है।

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मंदिर जी का निर्माण आज से 200 वर्ष पूर्व जैन समाज द्वारा करवाया गया था। समय-समय पर मंदिर जी में नवीन कार्य होते रहते है लेकिन आज भी मंदिर जी अपनी प्राचीनता को समेटे हुए है। मंदिर जी में तीन वेदिया ऊपरी तल पर स्थित है। मूल वेदी में स्वर्ण निर्मित समवशरण की रचना कर भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा को विराजमान किया गया है। भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा 400 वर्ष प्राचीन बताई जाती है। मंदिर जी की दूसरी वेदी में श्री चन्द्रप्रभु भगवान जी की मूलनायक प्रतिमा के साथ अन्य जैन तीर्थंकरो की प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी की तीसरी वेदी में मूलनायक के रूप में काले पाषाण की चतुर्थकालीन भगवान श्री पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी की एक वेदी भूगर्भ में निर्मित है जिसमें मूलनायक प्रतिमा श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी की विराजमान है। क्षेत्र में भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी की प्रतिमा का बहुत अतिशय है। लोग दूर-दूर के क्षेत्रों से आकर मंदिर जी में चालीसा का जाप करते है। मंदिर जी में समय-समय जैन साधु-महाराज जी का आगमन हुआ है। वर्ष 2002 में आर्यिका 105 स्वस्तिभुषण माता जी का आगमन क्षेत्र पर हुआ था। क्षेत्र में दिगम्बर जैन समाज एवं श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा मिलकर पर्व मनाए जाते है।


कथा अतिशय की

चोरो का अँधा हो जाना - एक बार मंदिर जी में चोर चोरी करने के उद्देश्य से प्रवेश करता है। मंदिर जी में बहुमूल्य सामान एवं प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान थी। वह चोर मंदिर जी से कीमती सामान को लेकर मंदिर जी की दहलीज की ओर जाता है, जैसे ही उसने अपना पाँव मंदिर जी की दहलीज के बाहर रखा वह अंधा हो गया। डर के मारे उसने जोर-जोर से चिलाना शुरू कर दिया। शौर सुनकर लोग एकत्रित हो गए तथा उस चोर को पुलिस के हवाले कर दिया। यह मंदिर जी में विराजित प्रतिमाओं का ही अतिशय था जो वह चोर मंदिर जी में चोरी करने में असफल रहा।


जैन समाज एवं सुविधाए

साढौरा हरियाणा के यमुनानगर जिले से पैंतीस किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। एक समय सढौरा में 400 से 500 दिगम्बर जैन परिवारों का जैन समाज हुआ करता था लेकिन आज जैन समाज केवल दस से बारह परिवार रह गया है। कम जैन परिवार होने के बावजूद भी क्षेत्र में मंदिरो का संचालन सुचारु रूप से किया जा रहा है। जैन समाज द्वारा प्रतिदिन मंदिर में पूजा-प्रक्षाल होता है। श्रावको की शुद्धता का ध्यान विशेष रूप से समाज द्वारा रखा गया है। क्षेत्र में जैन समाज द्वारा निर्मित धर्मशाला में दूर से आने वाले यात्रियों के लिए दो कमरें एवं दो बड़े हॉल बने हुए है। यदि कोई यात्री मंदिर जी में संपर्क करके आता है तो उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी जैन समाज द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। क्षेत्र में जैन समाज द्वारा ही आयुर्वेदिक औषधालय का निर्माण किया गया है।


क्षेत्र के बारे में

सढौरा हरियाणा राज्य में यमुनानगर जिले का एक शहर है। यह साधु महाराज के निकलने का मार्ग होता था, इसलिए इसका प्राचीन नाम 'साधू राह' हुआ करता था, जो आगे चलकर सढौरा हो गया। सढौरा के इतिहास का बहुत बड़ा महत्व है। भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पूर्व यहाँ मुसलमानो की संख्या अधिक होने से यहाँ लाहौर के अधीन नगरपालिका थी। उसके बाद महाराज रणजीत सिंह ने भी यहाँ शासन किया था। यहाँ 'रोजापीर' के नाम से मुस्लमानों का एक प्रसिद्ध स्थल है। यहाँ प्रतिवर्ष पीर का मेला लगता है। वार्षिक मेले में प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब व हिमाचल प्रदेश से लाखों श्रद्धालु आकर मन्नते मांगते है और धर्मलाभ उठाते है। साढौरा से 10 कि.मी की दूरी पर हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल एवं आदबद्री में मंत्रा देवी माता मंदिर है, इसके साथ-साथ सरस्वती नदी उद्गमस्थल, तरोवाला, गागड़वाल तथा मनसकामना पूर्ण करने वाले अनेक प्राचीन मंदिर है जिनका उल्लेख पुराणों एवं शास्त्रों में मिलता है। यह स्थल सिख इतिहास से भी जुड़ा है। गुरु गोबिंद सिंह जी का बुद्धन शाह नाम एक मुस्लिम फ़क़ीर शिष्य था। बुद्धन शाह जी के नाम पर एक गुरुद्वारा, गुरुद्वारा पीर बुद्धन शाह भी साढौरा में स्थित है।


समिति

प्रधान - रिषभ जैन जी

सेक्रेटरी - गौरव जैन जी

कोषपाल - नीरज जैन जी

सदस्य - दीपक जैन जी, सोहित जैन जी, मनीष जैन जी,राहुल जैन जी, मोनू जैन जी, प्रमोद जैन जी, बेवी जैन जी, धीरज जैन जी


नक्शा