सम्मेद शिखर रचना सोनीपत
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एक दृष्टि में

  • नाम
    लघु सम्मेद शिखर रचना तीर्थक्षेत्र, सोनीपत
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी में पंचकल्याणक 30 दिसम्बर 2023 से लेकर 4 जनवरी 2024 तक हुए है
  • स्थान
    नेशनल हाईवे 44, ऑपोसिट भीमराव अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी, सोनीपत, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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सोनीपत से बारह किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 44 पर स्थित है, श्री लघु सम्मेद शिखर रचना तीर्थक्षेत्र। मंदिर जी का निर्माण श्री 108 विराग सागर जी महाराज की प्रेरणा से तथा उपाध्याय श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के सानिध्य से किया जा रहा है। श्री लघु सम्मेद शिखर रचना तीर्थक्षेत्र का निर्माण उन लोगों के लिए किया जा रहा है जो लोग किसी कारण वश सम्मेद शिखर जी की यात्रा करने में असफल है। लघु सम्मेद शिखर जी का निर्माण कार्य जैन समाज द्वारा जैन साधु महाराज जी से आज्ञा पाकर आरम्भ किया गया है। मंदिर जी में प्रथम पंचकल्याणक तीस दिसम्बर 2023 से लेकर चार जनवरी 2024 तक हुए है। क्षेत्र पर ऊर्जा बनी रहे इसलिए मंदिर परिसर में सर्व प्रथम एक चैत्यालय का निर्माण किया गया था। जैन समाज द्वारा हस्तिनापुर पंचकल्याणक में आर्यिका 105 ज्ञानमती माता जी की आज्ञा से श्री पार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा को लाकर चैत्यालय में विराजमान किया गया।

प्रतिमा जी के आने से क्षेत्र में ऊर्जा का संचालन हुआ था तथा यह क्षेत्र विकसित होने लगा। मंदिर जी में सात फुट उतंग पार्श्वनाथ भगवान जी की पद्मासन प्रतिमा वाली मूल वेदी के साथ में ही श्री चन्द्रप्रभु भगवान एवं श्री बाहुबली भगवान जी की भी सात-सात फुट खड्गासन प्रतिमा वाली वेदी विराजमान है। मंदिर जी की मूल वेदी में अष्टधातु से निर्मित तीर्थंकर भगवान जी की चौबीसी का निर्माण किया गया है। मंदिर जी में दो अन्य वेदियों में रत्नो से युक्त चौबीसी का निर्माण किया गया है, एक वेदी में पाँच इंच ऊंचाई वाली रत्नमय प्रतिमाएँ तथा दूसरी वेदी में सात इंच ऊँचाई वाली रत्नमय प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी में प्रतिदिन नित्य नियम से प्रतिमाओं का पूजा एवं प्रक्षाल किया जाता है। यहाँ तक कि कोरोना काल में भी जब पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन लगा हुआ था, तो भी मंदिर में भगवान के आशीर्वाद से नियमित रूप से पूजा-प्रक्षाल हुआ है।


कथा अतिशय की

मंदिर जी में आने वाले श्रावकों द्वारा बताया जाता है कि श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा बहुत ही अतिशयकारी है। जब से प्रतिमा जी की स्थापना क्षेत्र पर हुई है, तब से लेकर अब तक क्षेत्र में बहुत कम समय में ही तेजी से विकास हुआ है। एक बार का वाक्य बताया जाता है, मंदिर जी में निर्माण के समय कुछ मिस्त्री काम कर रहे थे। उन मिस्त्रियों को बहुत तेज गुस्से में किसी के बोलने की आवाज आती है कि "हट जाओ" जैसे ही वे वहाँ से दूर जाते है पास ही की दीवार गिर जाती है लेकिन भगवान के आशीर्वाद से किसी भी व्यक्ति को कुछ नहीं होता है। एक बार का अन्य वाक्य स्थानीय जैन समाज द्वारा बताया जाता है कि मंदिर जी में सुबह के समय दर्शन करने आने वाले श्रावकों को कई बार मंदिर जी में घंटियों एवं संगीतों की ध्वनि सुनाई देती है, जबकि मंदिर जी का द्वार खोलने पर कोई भी व्यक्ति मंदिर जी के अंदर नहीं होता था। लोगों का मानना है कि प्रतिमा जी के अतिशय के कारण स्वयं देव भी खुद को प्रतिमा जी के दर्शन करने से नहीं रोक पाते है।


जैन समाज एवं सुविधाए

वर्तमान समय में श्री लघु सम्मेद शिखर रचना तीर्थक्षेत्र के आस-पास लगभग तीस जैन परिवारों का समाज है। जैन समाज द्वारा मंदिर जी में प्रतिदिन सुचारु रूप से पूजा एवं प्रक्षाल किया जाता है। मंदिर जी में आने वाले श्रावकों के लिए सभी प्रकार की सुविधा मंदिर समिति द्वारा उपलब्ध करवा दी जाती है। यदि कोई यात्री किसी दूसरे क्षेत्र से मंदिर जी में दर्शन करने आता है तो उनके आने पर सभी प्रकार की सुविधा भी मंदिर जी में उपलब्ध है। मंदिर समिति द्वारा बारह कमरों वाले यात्री निवास का निर्माण किया गया है। मंदिर मुख्य मार्ग पर होने के कारण जब भी किसी जैन साधु महाराज जी का आगमन सोनीपत होता है तो वे यहाँ पर भी रुकते है। जैन साधु महाराज जी की रुकने की व्यवस्था मंदिर परिसर में ही निर्मित संत भवन में कर दी जाती है।


क्षेत्र के बारे में

सोनीपत भारत के हरियाणा राज्य में स्थित एक जिला है। सोनीपत नाम संस्कृत शब्द से अपनाया गया है जिसका अर्थ सुवर्णप्रस्थ (सोने की जगह) है। नई दिल्ली से उत्तर में 43 किमी दूर स्थित इस नगर की स्थापना संभवतः लगभग 1500 ई.पू. में आरंभिक आर्यों ने की थी। सोनीपत जनपद का एक प्रमुख नगर है और यह राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हरियाणा राज्य के अनेक सरकारी और निजी क्षेत्र के दफ्तर और संस्थान यहां स्थित हैं। सोनीपत ज़िला एक मैदानी इलाक़ा है। जिनके 83 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। गेहूँ और चावल प्रमुख फ़सलें है, अन्य फ़सलों में ज्वार, दलहन, गन्ना, बाजरा, तिलहन और सब्ज़ियां शामिल हैं। सोनीपत क्षेत्र में धारोहरिक मौजूदगी है जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।


समिति

मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु अनेकांत धाम धर्म प्रभावना सेवा संघ समिति समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

प्रधान - श्री मुकेश जैन, गुड़गांव

उपाध्यक्ष - श्री स्वदेश जैन

महामंत्री - श्री रवि जैन

कोषाध्यक्ष - श्री अनिल जैन

सहमंत्री - श्री प्रशांत जैन

सदस्य - श्री पवन जैन


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