सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र सोनागिरि पर्वत, दतिया
  • निर्माण वर्ष
    प्रतिमा पाँचवी से छठी शताब्दी की विराजमान है
  • स्थान
    सोनागिरि पर्वत, जिला दतिया, मध्य प्रदेश
  • मंदिर समय सारिणी
    प्रात: 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक
सिद्ध क्षेत्र सोनागिरि जी परिचय
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सोनागिरि, ग्वालियर से 60 कि.मी. तथा जिला दतिया मध्य प्रदेश से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सोनागिरि सिद्ध-क्षेत्र एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ क्षेत्र है। जैन ग्रंथों के अनुसार आठवें तीर्थंकर श्री 1008 चंद्रप्रभु जी का समवशरण यहाँ सत्रह बार आया है। भगवान चन्द्रप्रभु जी के समय से अब तक यहाँ से साढ़े पाँच करोड़ तपस्वी संतों ने मोक्ष प्राप्त किया है। इसी क्षेत्र पर नंग, अनंग, चिंतागति, पूर्णचंद, अशोकसेन, श्रीदत्त, स्वर्णभद्र और कई अन्य संतों ने मोक्ष प्राप्त किया।

सोनागिरि में पहाड़ी पर कुल 77 मंदिर हैं। 77 जैन मंदिरों में से क्रमांक 57वा मंदिर मुख्य है। यहाँ 5वीं से 6वीं शताब्दी के बीच की चंद्रप्रभु भगवान जी की 3 मीटर ऊंची प्रतिमा विराजमान है। इसी मंदिर जी मे शीलतनाथ भगवान एवं पार्श्वनाथ भगवान जी की सुंदर प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं। यहाँ एक विशाल हॉल बना है। मंदिर जी के पास ही में मानस्तम्भ स्थापित है, जिसकी ऊँचाई 43 फिट है। कुंडलपुर, गिरनार जैन मंदिर, दिलवाड़ा मंदिर और शिखर जी की तरह ही सोनागिरि मंदिर परिसर अपनी समृद्ध वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह स्थान भक्तों द्वारा पवित्र माना जाता है।

एक कथन अनुसार शुभचन्द्र और भ्रतृरिहरी नामक दो भाई हुए जिनमें से शुभचन्द्र दिगम्बर साधु बने तथा भ्रतृरिहरी ब्रह्मांड धर्मी साधु बने। साधु भ्रतृरिहरी जी ने अपने गुरुवार से विद्या लेकर एक रसायन प्राप्त किया, जिसे पत्थर पर डालने पर वह सोने का हो जाता था। कुछ समय पश्चात जब साधु भ्रतृरिहरी को अपने भाई शुभचन्द्र जी की दिगम्बर अवस्था का पता चला तो उनकी कृषक काय देखकर बहुत दुख हुआ। भ्रतृरिहरी ने अपने भाई शुभचन्द्र को उनकी दरिद्रता मिटाने के लिए उस रसायन को दिया, लेकिन शुभचन्द्र जी ने उसे लेने से अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर साधु भ्रतृरिहरी ने शुभचन्द्र जी से पूछा तुमने इतने वर्ष में क्या प्राप्त किया है। तब साधु शुभचन्द्र ने अपने भाई की अज्ञानता को देखते हुए एक मुट्ठी मिट्टी को हाथ में लेकर श्री चंद्रप्रभु जी का नाम लेकर एक शिला पर डाल दिया जिससे वह स्वर्ण की हो गई। इसी वाक्य से पर्वत का नाम स्वर्ण गिरी तथा वर्तमान में जिसे सोनागिर के नाम से जाना जाता है, पड़ गया। आचार्य श्री शुभचन्द्र और भ्रतृरिहरी आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए यहीं रहते थे। सोनागिरि मे ही आचार्य शुभचन्द्र तथा ऋषि भ्रतृरिहरी ने निर्वाण पाया एवं अनेक ग्रंथों की रचना की।

सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र में 16 जिनालय 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान जी के, 14 जिनालय प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान जी के, 13 जिनालय 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ जी के, 11 जिनालय श्री चन्द्रप्रभु भगवान जी के एवं 7 जिनालय 24वें तीर्थंकर श्री महावीर भगवान जी के है। सभी जिनालय अति प्राचीन है। सिद्ध क्षेत्र सोनागिरि पर ही सन् 2005 में आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज जी की प्रेरणा से नन्दीश्वर द्वीप जिनालय का निर्माण किया गया। नन्दीश्वर द्वीप जिनालय में पंच मेरु एवं 52 जिन मंदिरों का निर्माण किया गया है। सोनागिरि पर्वत की तलहटी पर बसे सिनावल गांव में भी 27 जैन मंदिर स्थापित है। सिनावल गांव में सिद्ध क्षेत्र का प्रवेश द्वार बना है। प्रवेश द्वार से मंदिर श्रृंखला एक से लेकर 57वें मंदिर जो श्री चंद्रपभु जी का है, तथा पर्वत का मुख्य मंदिर है में दर्शन कर उससे आगे मार्ग पर होते हुए अन्य मंदिर जी के दर्शन कर वापिस इसी द्वार से वापिस आते है।


सुविधाएं एवं धर्मशाला

सिद्ध क्षेत्र सोनागिरी जी की तलहटी पर स्थित सिनावल गांव में भी अन्य जैन मंदिर तथा जैन धर्मशालाये स्थापित है। सिद्ध क्षेत्र पर प्रतिवर्ष श्रधालुओं का आगमन होता रहता है। यात्रियों की सुविधा के लिए ही 32 धर्मशालाओं का निर्माण किया गया है। क्षेत्र में 300 डीलक्स तथा 100 कमरे ऐ.सी. सर्विस के साथ उपलब्ध है। क्षेत्र में निशुल्क भोजनालय की व्यवस्था भी बनी हुई है। क्षेत्र में ही जैन औषधालय भी बना है, जहाँ निशुल्क दवाई दी जाती है। यात्रियों के लिए बस स्टेशन से ही सोनागिरी सिद्ध क्षेत्र तक बस की सुविधा उपलब्ध है।


क्षेत्र के बारे में

दतिया नगर झाँसी से 16 मील दूर, झाँसी-ग्वालियर सड़क पर स्थित है। दतिया नगर को 16 वी सदी में बुन्देलखण्ड के प्रतापी बुन्देला राजा वीर सिंह जू देव ने बसाया था। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह उत्तर में भिंड, एवं जालौन, दक्षिण में शिवपुरी एवं झाँसी, पूर्व में समथर एवं झाँसी तथा पश्चिम में ग्वालियर से घिरा है। सिंध एवं पहूज जिले की प्रमुख नदियाँ हैं।

दतिया में स्थित सोनगिरी के जैन मंदिर जैन दिगम्बर सम्प्रदाय का पवित्र तीर्थस्थल है। इसी स्थान पर राजा नंगनाग ने 5 करोड़ अनुयायियों के साथ मोक्ष प्राप्त किया था। भक्तगणों और संतों के बीच यहाँ के मंदिर बहुत लोकप्रिय है। वे यहाँ आकर मोक्ष प्राप्ति और आत्मानुशासन का अभ्यास करते हैं।


समिति

सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र जैन धर्म का महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के कारण लोगो की आस्था का मुख्य केंद्र बना हुआ है। क्षेत्र के संरक्षण के लिए श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिरि संरक्षिणी कमेटी का निर्माण किया गया है, जिनके सदस्य निम्नलिखित है :-

प्रबंधक - श्री संदीप जैन जी

मंत्री - श्री ज्ञानचन्द जैन जी

पंडित जी - श्री विपिन शास्त्री जी