त्रिलोक तीर्थधाम बड़ा गाँव

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, बड़ा गाँव
  • निर्माण वर्ष
    गर्भगृह का निर्माण सन् 2015 में हुआ
  • स्थान
    बड़ा गाँव, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक
त्रिलोक तीर्थ धाम जैन मंदिर जी परिचय
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बड़ा गाँव में दो जैन मंदिरों का परिसर बना है। जिनमें से एक मंदिर जी का नाम श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान प्राचीन दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र तथा दूसरे मंदिर जी का नाम त्रिलोकतीर्थ धाम जैन मंदिर जी है। 1997 में क्षेत्र में आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मतिसागर महाराज जी का आगमन हुआ। रात्रि के समय देवों ने उनके स्वप्न में आकर महाराज जी से इसी क्षेत्र में त्रिलोकतीर्थ धाम मंदिर जी के निर्माण करने को कहाँ। महाराज जी की आज्ञा अनुसार सन् 2000 में रक्षाबंधन के दिन मंदिर जी के निर्माण का कार्य प्रारम्भ होकर सन् 2015 में पूर्ण हुआ। मंदिर जी का नाम श्री 1008 आदिनाथ भगवान दिगम्बर जैन मंदिर रखा गया, जिसे लोग त्रिलोकतीर्थ धाम के नाम से भी जानते है।

मंदिर जी में 458 चैत्यालय, नन्दीश्वरद्वीप, सम्मेदशिखर, गिरनार, चम्पापुर, पावापुर, कैलाश पर्वत, मेरु मंदिर आदि क्षेत्रों की रचना की गई है। मंदिर जी में तीनों लोक अधोलोक, मध्यलोक तथा ऊर्ध्वलोक के दर्शन कराए जाते है। मंदिर जी में नवग्रह शांति जिनमंदिर, भरत-बाहुबली मंदिर, श्री 1008 आदिनाथ भगवान मंदिर जी, श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान मंदिर जी, श्री 1008 कुंथुनाथ भगवान मंदिर जी, श्री 1008 अरहनाथ भगवान मंदिर जी एवं श्री 1008 महावीर भगवान मंदिर जी के साथ-साथ पाँच पांडव मंदिर तथा श्री राम लव-कुश मंदिर जी का निर्माण किया गया है। त्रिलोकतीर्थ धाम मंदिर जी की ऊँचाई 317 फुट है, जो 100 फुट भूमि में तथा 217 फुट भूमि के ऊपर स्थित है। मंदिर जी में मनुष्य के कर्मो के अनुसार पाप-पुण्य के फलों का वर्णन भी किया गया है। मंदिर जी के सबसे ऊपर सिद्धशिला पर भगवान आदिनाथ जी की 31 फुट ऊँची अष्टधातु से निर्मित पद्मासन प्रतिमा जी विराजमान है। मंदिर जी में श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान, श्री नेमिनाथ भगवान तथा श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी के जिनालयों का निर्माण किया गया है। मंदिर जी के चारों ओर चार शिखर निर्मित है और प्रत्येक शिखर 100 फुट ऊँचे है।


कथा अतिशय की

बड़ा गाँव में स्थित त्रिलोक तीर्थ धाम जैन मंदिर जी के पास में ही स्थित है श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान प्राचीन दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र। प्राचीन मंदिर जी में स्थापित है भुगर्भ से प्राप्त श्री पार्श्वनाथ भगवान जी की प्राचीन अतिशयकारी प्रतिमा जी। मुग़ल शासन काल में पुरे भारतवर्ष में मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था तब लोग प्रतिमाओं को आक्रांताओ से बचाकर भूमि में दबा देते थे। बड़ा गाँव में भी ऐसा ही देखने को मिला, यहाँ पूर्व समय में रेत का टीला होता था जिसे लोग पार्श्व टीला कहते थे। सन् 1922 में श्री ऐलक अनंतकीर्ति जी महाराज का आगमन हुआ। लोगो ने उन्हें इस टीले के बारे में बताया, तब कुछ समय उन्होंने यहाँ बैठकर ध्यान लगाया। उन्हें यहाँ प्रतिमा जी के होने का आभास हुआ। कुछ समय पश्चात उन्होंने लोगो को खुदाई करने को कहा। लगभग 12 फिट खुदाई के बाद लोगो को आवाज आई "भाइयों धीरे-धीरे खुदाई करो"। इतना सुनते ही लोग आश्चर्यचकित हो गये अतः अपने हाथों से ही खुदाई करने लगे। थोड़े समय खुदाई के बाद लोगो को सफेद पाषाण से बनी श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की अतिशयकारी प्रतिमा प्राप्त हुई। बाद में लोगो ने मंदिर जी का निर्माण कर प्रतिमा जी को मंदिर जी में स्थापित किया। जहाँ से प्रतिमा जी प्राप्त हुई थी, वहीं पर वर्तमान में कुएं का निर्माण किया गया है। लोग कुएं के जल का प्रयोग अपने रोगो के इलाज में करते है। वर्तमान में स्थित त्रिलोक तीर्थधाम मंदिर जी को बाद में आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मतिसागर जी महाराज जी की प्रेरणा से बनवाया गया।


सुविधाएं एवं धर्मशाला

1. अतिथि भवन - मंदिर जी में बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए 72 कमरें डीलक्स सुविधा के साथ उपलब्ध है।

2. त्रिलोकतीर्थ भोजनशाला - मंदिर जी में त्रिलोकतीर्थ भोजनशाला के नाम से निःशुल्क भोजनशाला का निर्माण किया है जिसमें क्षेत्र पर आने वाले अतिथियों, गुरुकुल में रहने वाले छात्रों एवं स्टाफ के भोजन की समुचित व्यवस्था की जाती है।

3. स्याद्वाद जैन एकेडमी - त्रिलोकतीर्थ प्रांगण में सी.बी.एस.ई. दिल्ली से मान्यता प्राप्त अंग्रेजी माध्यम से सीनियर सैकण्डरी स्कूल चल रहा है। जिसमें लगभग 800 छात्र-छात्राएं नैतिक संस्कारो के साथ शिक्षा प्राप्त कर रहे है।

4. आचार्य सुमतिसागर भवन (गुरुकुल) - इस भवन में छात्रों के आवास हेतु 17 कमरें है। वर्तमान में लगभग पचास छात्रों के आवास की व्यवस्था इसी भवन में है। छात्रों को निःशुल्क शिक्षा एवं भोजन प्रदान किया जाता है।

5. स्याद्वाद गऊशाला एवं जीव दया केंद्र - त्रिलोकतीर्थ प्रांगण में एक गऊशाला चल रही है जिसमें पशु-पक्षी के आहार एवं सेवा का विशेष लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में लगभग 50 गाय गऊशाला में है।

6. स्याद्वाद आयुर्वेदिक चिकित्सालय - त्रिलोकतीर्थ प्रांगण में एक आयुर्वेदिक निःशुल्क चिकित्सालय भी संचालित है। जिसमें प्रतिदिन आस-पास के गाँवो में रहने वाले ग्रामीणों का उपचार निःशुल्क किया जाता है।

7. संत निवास - इस भवन में साधु-संतों एवं त्यागीवृतियों के रहने की व्यवस्था है।

8. गुरु मंदिर - त्रिलोक मंदिर जी के सामने जहाँ आचार्य श्री के अंतिम संस्कार हुए थे, वहीं गुरु मंदिर जी की स्थापना हुई है।


बागपत क्षेत्र के बारे में

बागपत को बागो का शहर भी कहा जाता है। 1857 की क्रांति के बाद बागपत की मुख्यता बढ़ गई। पहले यह मेरठ का हिस्सा था बाद में 1997 में बागपत को एक जिले का रूप दे दिया गया। यहाँ पर मुख्य गुड़ तथा चीनी का व्यवसाय किया जाता है। बागपत में त्रिलोक तीर्थ धाम, श्री पार्श्वनाथ भगवान अतिशय क्षेत्र अन्य जैन मंदिरों का निर्माण किया हुआ है। बागपत का सम्बन्ध महाभारत काल से भी रहा है। बागपत के बरनावा में महाभारत काल का लाक्षागृह भी मौजूद है।


समिति

श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन स्याद्वाद ट्रस्ट बड़ा गाँव (बागपत) के द्वारा ही मंदिर जी का संचालन किया जाता है। समिति के सदस्य समिति :-

अध्यक्ष - श्री गजराज जैन गंगवाल, दिल्ली

कार्याध्यक्ष - श्री महेन्द्रकुमार जैन, दिल्ली

प्रबंधक - श्री त्रिलोकचंद जैन, बड़ागाँव