वल्ल्भ विहार जैन मंदिर, रोहिणी
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर, रोहिणी सेक्टर-13
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का निर्माण वर्ष 2010 में हुआ है
  • स्थान
    वल्ल्भ विहार, रोहिणी सेक्टर 13, दिल्ली
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से 12 बजे तक, सांय 5 बजे से 8:30 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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भारत की राजधानी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-13 में स्थित वल्लभ विहार अपार्टमेंट्स में श्री 1008 चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर प्रतिष्ठित है। यह अपार्टमेंट जैन धर्म के तीनों प्रमुख संप्रदायों - दिगंबर, श्वेतांबर और स्थानकवासी के धार्मिक स्थलों का केंद्र है, जिससे यह संपूर्ण परिसर जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख निवास स्थल बन गया है। इस क्षेत्र में दिगंबर जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर और जैन स्थानक स्थित हैं, जिससे इसे आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वर्ष 2001 में वर्तमान दिगंबर जैन मंदिर के स्थान पर अस्थायी रूप से टिन शेड लगाकर भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित की गई थी। प्रतिमा जी की प्रतिष्ठा जैन समाज द्वारा सोनीपत में आयोजित भव्य पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान आचार्य श्री 108 शांतिसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में विधि-विधानपूर्वक संपन्न कराई गई थी। वर्ष 2010 में संपूर्ण जैन समाज की सहमति से टिन शेड के चैत्यालय को एक भव्य शिखरबद्ध जिनालय में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया। इस मंदिर का निर्माण उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर जी महाराज के सानिध्य में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिससे यह धार्मिक स्थल और भी दिव्य एवं प्रभावशाली बन गया।

वर्तमान में मंदिर जी में मुख्य रूप से एक वेदी स्थापित है, जिसमें श्री 1008 चंद्रप्रभु भगवान जी की सफेद पाषाण से निर्मित अद्भुत, अलौकिक एवं अतिशयकारी प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है। इस प्रतिमा का क्षेत्र में विशेष आध्यात्मिक प्रभाव है, जिसके कारण केवल आसपास के श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से भी भक्तगण दर्शन हेतु यहाँ आते हैं। भगवान चंद्रप्रभु के दर्शन मात्र से भक्तों को एक अद्वितीय शांति एवं दिव्यता का अनुभव होता है। मूलनायक प्रतिमा के साथ ही श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान एवं श्री नेमिनाथ भगवान जी की भी सफेद पाषाण से निर्मित भव्य प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं। इसके अतिरिक्त, श्री आदिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री महावीर भगवान जी की अष्टधातु से निर्मित दिव्य प्रतिमाएँ भी मंदिर में विराजमान हैं, जो श्रद्धालुओं की भक्ति को और अधिक प्रगाढ़ करती हैं।

वास्तुशास्त्र की दृष्टि से भी यह मंदिर अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। बताया जाता है कि मंदिर की वेदी का मुख पूर्ण रूप से पूर्व दिशा की ओर है, जिससे क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। यही कारण है कि जब भी दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में जैन साधु-संतों का आगमन होता है, तो वे इस पावन मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए अवश्य पधारते हैं। वल्लभ विहार में जैन धर्म के तीनों प्रमुख संप्रदाय - दिगंबर, श्वेतांबर एवं स्थानकवासी के अनुयायी निवास करते हैं, जिसके कारण सभी श्रद्धालुओं के बीच आपसी प्रेम, सौहार्द और धार्मिक एकता का भाव विद्यमान है। मंदिर जी में प्रतिदिन जैन श्रद्धालुओं द्वारा विधिपूर्वक पूजा, अभिषेक, प्रक्षाल एवं शांतिधारा की जाती है, जिससे इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और भी बढ़ जाती है।


जैन समाज एवं सुविधाए

दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-13 स्थित वल्लभ विहार सोसाइटी में श्री 1008 चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर प्रतिष्ठित है। मंदिर के सुचारु संचालन हेतु एक पंजीकृत मंदिर समिति का गठन किया गया है, जो मंदिर की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित रूप से संचालित करती है। यदि कोई श्रद्धालु अन्य क्षेत्र से दर्शन हेतु आता है, तो पूर्व में संपर्क करने पर उनकी सुविधा अनुसार आवश्यक प्रबंध मंदिर समिति द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। हालांकि, मंदिर परिसर में रुकने की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।


दिल्ली क्षेत्र के बारे में

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली भारत की राजधानी और एक केंद्र-शासित प्रदेश है। भारत की राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों- कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय दिल्ली में ही स्थापित हैं। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है, और पुराणों में इसका विशेष महत्व है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं।

दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत महापुराण में मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ महाभारत काल में पांडवों की राजधानी थी। दिल्ली केवल भारत की राजधानी ही नहीं अपितु यह एक पर्यटन का मुख्य केन्द्र भी है। राजधानी होने के कारण भारत सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं; प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। पुरातात्विक दृष्टि से पुराना किला, सफदरजंग का मकबरा, जंतर मंतर, क़ुतुब मीनार और लौह स्तंभ जैसे अनेक विश्व प्रसिद्ध निर्माण यहाँ पर आकर्षण का केन्द्र समझे जाते हैं। लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहाँ हैं जैसे बिरला मंदिर, कात्यायिनी शक्तिपीठ, लाल जैन मंदिर, बंगला साहब गुरुद्वारा, बहाई मंदिर, अक्षर धाम मंदिर और जामा मस्जिद देश के शहीदों का स्मारक इंडिया गेट, राजपथ पर इसी शहर में निर्मित किया गया है। वर्तमान समय में दिल्ली सम्पूर्ण भारत के व्यापार का मुख्य केंद्र बन चूका है।


समिति

मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन सभा (रजि०), वल्ल्भ विहार, रोहिणी सेक्टर 13 मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

प्रधान - डॉ. श्री प्रदीप जैन जी

सचिव - श्री नितिन जैन जी

कोषध्यक्ष - श्री सतीश जैन जी


नक्शा